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अभिनव प्राकृत-व्याकरण
(क) ट= ड
घडोर घटा-2 के स्थान में ड, विसर्व का ओत्व । नडोर नटः
भडोर भट:- , (ख) ट = ढ
केढवो कैटभः-ऐकार को एकार, ट को ढ और भ को व, विसर्ग को ओत्व ।
सयढो< शकट:-तालव्य श को स, ककार का लोप, अ स्वर शेष और य श्रुति तथा ट को ढ।
सढा< सटा-ट को ढ। (ग) ट%ल
फलिहोर स्फटिकः-संयुक्त स का लोप, ट के स्थान पर ल और क को ह। चविला< चपेटा-प को व, एकार को इत्व और ट कोल।
फालेइ८ पाटयति-पा के स्थान पर फा, ट को ल, अकार को एकार तथा विभक्ति चिह्न इ।
( १७ ) संस्कृत की ठ ध्वनि का प्राकृत में ल, ट और ढ में परिवर्तन हो जाता है। ( क ) ठ = ल
अंकोल्लो अङ्कोठ:- के स्थान पर ल हुआ है।
अंकोल्लतेलं अङ्कोठतैलम्-ठ के स्थान पर ल, तकारोत्तर ऐकार को एकार । ( ख ) ठ -ह
पिहडोव पिठर:–ठ का ह और र का ड हुआ है। (ग ) ठ = ढ
पढ , पठठ का ढ हुआ है। पिढरो < पिठरः-3 को ढ तथा विसर्ग का ओत्व । ( १८ ) संस्कृत का ड वर्ण प्राकत में ल हो जाता है। वलयामुहं < वडवामुखम् --ड के स्थान पर छ । तलायं< तडागम्कीला< क्रीडा( १६ ) संस्कृत का ण वर्ण प्राकृत में विकल्प से ल में बदल जाता है । वेलू , वेणू < वेणु:
(२०) संस्कृत के त वर्ण का प्राकृत में च, छ, ट, ड, ण, र, ल, व और ह में परिवर्तन होता है।