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अभिनव प्राकृत-व्याकरण थोअंदस्तोकम्-स्तो के स्थान पर थो, क लोप और अ स्वर शेष । पत्थरो< प्रस्तरः-स्त के स्थान पर स्थ, विसर्ग को ओत्व । थुई <स्तुतिः-स्तु के स्थान पर थु और त का लोप, इकार को दीर्घ । समत्तं समस्तम्-स्त संयुक्त में से आदि वर्ण स् का लोप और त को द्वित्व । तंबो< स्तम्बः-आदि संयुक्त स का लोप, म् को अनुस्वार और विसर्ग को ओत्व । ( १६३ ) संयुक्त न्म के स्थान में म आदेश होता है । तथा- .
जम्मोजन्म-म को म्म आदेश ।
मम्महो< मन्मथः-न्म के स्थान पर म्म और थ के स्थान पर ह, विसर्ग को ओत्व। (१६४ ) प और स्प के स्थान में फ आदेश होता है। जैसे
पष्फं< पुष्पम् -प के स्थान पर प्फ आदेश । सप्फं<शष्पम्निप्फेसो< निष्पेष: फंदणं स्पन्दनम् -स्प के स्थान में फ आदेश और न को णत्व ।।
पडिफ्फद्दी< प्रतिस्पर्धी-स्प के स्थान पर फ्फ, संयुक्त रेफ का लोप । प्रति को पडि।
फंसो<स्पर्श:-स्प के स्थान पर फ, संयुक्त रेफ का लोप, ओत्व और अकारण अनुस्वार ।
(१६६ ) संयुक्त श्न, ग, स्न, हू, और सूक्ष्म शब्द के क्ष्म के स्थान में ण्ह आदेश होता है। उदाहरण
विण्हू द विष्णुः -- ण के स्थान पर ण्ह तथा उकार को दीर्घ । कण्हो< कृष्ण:-कृ में रहनेवाली के स्थान पर अ और षण को ण्ह उण्हीसं उष्णीषम् –ण के स्थान में पह, मूर्धन्य ष को सत्व । जोण्हारज्योत्स्ना-संयुक्तान्त्य य का लोप और त्स्ना के स्थान पर पहा ।
एहाऊ< स्नायुः-स्न के स्थान पर ण्ह, य कार का लोप और ऊ स्वर शेष तथा दीर्घ ।
रहाणं< स्नानम्-स्न के स्थान में ण्ह और न को णत्व। वहीर वह्निः-ह्न के स्थान में ग्रह तथा ह्रस्व इकार को दोर्घ । जएहू < जह्न :-
, तथा ह्रस्व उकार को दीर्घ ।
१. न्मो मः ८।२।६१. हे०। २. ष्प-स्पयोः फः ८।२।५३. हे । ३. सूक्ष्म-श्न-ष्ण-स्न-ह-छु-क्ष्णां एहः-८।२७५. हे० ।