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अभिनव प्राकृत-व्याकरण मच्छिआ< मक्षिका–क्ष के स्थान पर च्छ और क लोप तथा आ स्वर शेष ।
सरिच्छो< सदृक्षः-६ लोप और ऋ के स्थान पर रि तथा क्ष को च्छ हुआ है।
छेत्तं< क्षेत्रम्-क्ष को छ तथा त्र में से र लोप और त को द्विस्व । छुहा<क्षुधा-क्ष को छ और ध को ह हुआ है। दच्छो< दक्षः-क्ष को च्छ हुआ है। कुच्छी ८ कुक्षिः- , , वच्छं< वक्षम् - " " छुण्णोरक्षुण्ण:-क्ष के स्थान पर छ हुआ है। कच्छा< कक्षा-क्ष के स्थान पर च्छ हुआ है। छारोक्षार:-क्ष के स्थान पर छ हुआ है। कुच्छेअयं कौक्षेयक–क्ष के स्थान पर च्छ और य लोप तथा अ स्वर शेष । छुरो<क्षुर:-क्ष को छ हुआ है। उच्छा < उक्षन्-क्ष को च्छ हुआ है। छयं<क्षतम्-क्ष को छ हुआ है।
सारिच्छं साक्ष्यम्-क्ष के स्थान पर च्छ । (१४९) उत्सव अर्थ के वाचक छ शब्द में क्ष के स्थान पर छ आदेश होता है। यथा
छणोरक्षण:-उत्सव अर्थ होने से क्ष के स्थान पर छ हुआ है।
खणोरक्षगः-समय वाचक होने से क्ष के स्थान ख हुआ है। (१५० ) पृथ्वी अर्थ होने पर क्षमा शब्द में क्ष के स्थान पर छ आदेश होता है। यथा
छमारक्षमा-पृथ्वी अर्थ होने से क्ष के स्थान पर छ।
खमा<धमा-माफी मांगना अर्थ होने से क्ष के स्थान में ख । (१५१) ऋक्ष शब्द में क्ष के स्थान पर छ विकल्प से होता है। यथा
रिच्छं, रिक्खं ऋक्षम् – के स्थान पर रि, क्ष के स्थान पर च्छ तथा विकल्पाभाव पक्ष में क्ख हुआ है। (१५२ ) संयुक्त क्म और डम के स्थान में प आदेश होता है। यथारुप्पं, रुप्पिणी < रुक्मम् , रुक्मिणी-क्म के स्थान पर प्प आदेश हुआ है।
कुप्पलं<कुडमलम्-डम के स्थान पर प्प आदेश हुआ है। १. क्षण उत्सवे ८।२।२०. हे। २. क्षमायां कौ ८।२।१८. हे । ३. ऋक्षे वा ८।२।१६. हे० । ......४. ड्मक्मोः ८।२।५२. हे० ।