________________
अभिनव प्राकृत-व्याकरण संयोगरहित क, ग, च, ज, त, द, प, य और व वर्णों का प्राय: लोप होता है।' उदाहरणक लोप
लोओ< लोक:-क का लोप, स्वर शेष और विसर्ग को ओत्व । सअढं शकेटम्-क का लोप, स्वर शेष और ट के स्थान पर ढ । मउलं< मुकुलं-मु के उ के स्थान पर अ, क का लोप और उ स्वर शेष । णउलोर नकुलः-न का ग और क का लोप, स्वरशेष । णोआ<नौका-न का ण और औ का ओ तथा क का लोप, स्वरशेष ।
तित्थयरो< तीर्थकरः-ती को हस्व, रेफ का लोप, थ को द्वित्व, क लोप और स्वरशेष, य भुति । ग लोप
णओ< नग:-ग लोप, स्वरशेष । णअरं, नयरं, णयरं< नगरम्-ग लोप और शेष स्वर के स्थान में य श्रुति । मयंको< मृगाङ्कः-मृ का म, ग का लोप और शेष स्वर को य श्रति । साअरो, सायरोदसागर:-ग लोप और शेष स्वर को य श्रुति ।
भाइरही< भागीरथी-ग लोप, स्वर शेष और थ के स्थान पर है। च लोप
सई < शची-श को स और चकार का लोप, स्वर शेष । कअग्गहो, कयग्गहो< कचगृहः-च लोप, शेष स्वर को य श्रुति । सई< सूची-च लोप और स्वर शेष। रोअदि< रोचते-च लोप और स्वर शेष । उइदं उचितम्-च लोप और स्वर शेष, त को द।
सूअअं< सूचकम् । नलोप
रअओर रजक:-ज और क दोनों का लोप और स्वर शेष। पआवई < प्रजापति:-ज लोप, स्वर शेष और प के स्थान पर व । गओ<गज:-ज लोप और स्वर शेष।
रअढं रजतम्-ज का लोप, स्वर शेष और त के स्थान पर ढ । त लोप
विआणं< वितानम्-त लोप और स्वर शेष। किअं< कृतम्-कृ में रहनेवाली के स्थान पर अ और त लोप, स्वर शेष । रसाअलं< रसातलम्-त लोप और स्वर शेष ।
१. क-ग-च-ज-त-द-प-य-वां प्रायो लुक ८।१।१७७. हे ।