Book Title: Shatkhandagama Pustak 03
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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जीवराशिका मार्गणास्थानोंकी अपेक्षा प्रमाण-प्ररूपण की ओर ही रखे हैं। कहीं कहीं राशिके जो अंक दिये गये हैं उनसे कुछ अधिक प्रमाण विवक्षित है, क्योंकि, उसमें कोई अन्य अल्प राशि भी प्रविष्ट होती है। ऐसे स्थानोंपर अंकके आगे धनका चिन्ह + बना दिया गया है, और अंक देकर टिप्पणीमें उस विवक्षित राशिका उल्लेख कर दिया गया है । इस दिशामें यह प्रयत्न, जहां तक हमें ज्ञात है, प्रथम ही है, अत: सावधानी रखने पर भी कुछ त्रुटियां हो सकती हैं । यदि पाठकोंके ध्यानमें आवें, तो हमें अवश्य सूचित करें ।
चौदह मार्गणास्थानोंमें जीवराशियोंके प्रमाणकी संदृष्टियां ( मार्गणा शीर्षकके आगे दी गई पृष्ठसंख्या उस मार्गणाके भागाभागकी सूचक है।)
१ गति मार्गणा (पृ. २०७) तिर्यंच देव नारक मनुष्य । सिद्ध । सर्व जीव अनन्त असंख्य असंख्य
असंख्य
अनन्त
अनन्त १६
२०.
१२
३२
१६
१६
२ इन्द्रिय मार्गणा ( पृ. ३१९) १ इंद्रिय | २ इंद्रिय | ३ इंद्रिय | ४ इंद्रिय । ५ इंद्रिय । अतींद्रिय | सर्व जीव अनन्त
असंख्य - असंख्य असंख्य असंख्य अनन्त
अनन्त १८२
१२ १६
१४
१४
वनस्पति । वायु अनन्त असंख्य
१६
३ काय मार्गणा (पृ. ३४१) जल प्रथिवी तेज ।
त्रस असंख्य असंख्य असंख्य असंख्य
अकाय | सर्व जीव
अनन्त
अनन्त ३२
१६
.
१६
काय. अनन्त
४ योग मार्गणा (पृ. ४१२) वचन. मन.
अयोगी असंख्य असंख्य
अनन्त ३२ र
सर्व जीव
अनन्त
१८४
१ यहाँ यह सिद्धोका प्रमाण अयोगिकेवलियोंसे सातिरेक समझना चाहिये ।
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