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निर्णय किया । उसके अनुसार हमारी विनती को स्वीकार करके पूज्यः 'आचार्य भगवन्त अपने परिवार के साथ मगसर सुदी १४ को मंगल
प्रभातमें भव्यः स्वागत के साथ पधारेः । . ... . ... आमन्त्रण पत्रिका :- .
उपधान तपकी आमन्त्रण पत्रिका में, सही कराने का. चढावा . ३१०१ रुपयों में शाहबालचन्दजी ने लिया था । . .... एक हजार पत्रिका छपा के आने के बाद देश परदेश में खाना
हुई थों । गाँवों गाँव से भाई-बहन आने लगे एसे मानो नदीमें पूर
आया हो। 'उपधान नगरकी रचना :-. . . .
. ___ व्याख्यान और क्रिया के लिये वालचन्दजी के मकान में वड़ा - शामियाना खड़ा किया था । उसका नाम उपधान नगर रक्खा गया
था । मंडप ध्वजा पताका द्वारा सुशोभित करने में आया था। सुन्दर. ' अमरसे मंडप चमक रहा था । स्वागत सूचक सुवावयों से सजे वोडों
से मंडप.दिप रहा था। .. मध्यमें व्याख्यान पीठकी रचना इतनी सुन्दर की गई थी कि:
इन्द्रापुरी देख लो । मंडपमें प्रवेश करने के लिये शेरी के नाके पर ... १५४ १५ के हार्डबोर्ड के ओइल पेन्ट चित्रों से मुशोभित दरवाजे. . खड़े किये गये थे । नगर प्रवेश के लिये भी उसी तरह दरवाजा
खड़ा करने में आया था। ...: उपधान नगर से लगाकर जैनमन्दिर तक' ध्वजा पताका इतनी
सुन्दर थीं कि मानों संताकुकडी की रमत देख लो। नगरीमें जगह जगह आगन्तुक मेहमानों को ठहरने की व्यवस्था की गई थी। जैनधर्म शाला के चौगान में विशाल भोजन मंडप बनाया गया था। . . प्रथम प्रवेश :- - .
. .. पौष वदी १ (मारवाडी माह वदी १) के मंगल प्रभातमें. १०१ भाई-बहनोंने पूर्ण उल्हास से उपधान तपमें प्रवेश किया ।