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पृष्ठांक
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क्रमांक विषय
सूत्रांक २० "न" सहित "इ" के स्थान पर "ओ" प्राप्ति का विधान
"ई" स्वर के स्थान पर क्रम से "अ-श्रा-इ-उ-ऊ-उ-ए" प्राप्ति का विविध रूप से संविधान
हह से १०६ "उ" स्वर के स्थान पर क्रम से "श्र-इ-ई-3-प्रो" प्राप्ति का विविध रूप से संविधान "अ" स्वर के स्थान पर क्रम से "श्र-ई इ-उ-तथा "ह और ए" की तथा "ओ" की प्राप्ति का विविध रूप से संविधान ११६ से १२५ "" स्वर के स्थान पर क्रम से "अ-श्रा-इ-3-"इ एवं उ" तथा उ-3-ओ, इ-उ, इ-ए-ओ, रि, और "दि" की प्राप्ति का विविध रूप से संविधान
१२६ से १४४ "ल" के स्थान पर "इलि" आदेश प्राप्ति का विधान
"ए" स्वर के स्थान पर कम से "इ-3" प्राप्ति का विधान १४६ से १४७ २७ "हे" स्वर के स्थान पर क्रम से "ए-इ-अइ, "ए और अइ".
अ अ तथो ई" प्राप्ति का विविध रूप से संविधान १४८ से १५५ २८ . "ओ" स्वर के स्थान पर वैकल्पिक रूप से "अ" की तथा
"ऊ और अख" एवं आश्र की प्राप्ति का विविध रूप से संविधान १५६ से १५८ "ौं" स्वर के स्थान पर क्रम से "श्रो उ-अउ, "आ और अ" तथा आवा" प्राप्ति का विविध रूप से संविधान १५६ से १६४ व्यञ्जन लोप पूर्वक विभिन्न स्वरों के स्थान पर विभिन्न स्वरों को प्राप्ति का विधान
१६५ से १७५ ध्यान-विकार के प्रति सामान्य-निर्देश "क--च-ज-त-इ-प-य-व" व्यञ्जनों के लोप होने का विधान "म" व्यञ्जन को लोप-प्राप्ति और अनुनासिक प्राप्ति का विधान । १७८ "प" व्यञ्जन के लोप होने की निषेध विधि
१७६ लुप्त व्यञ्जन के पश्चात शेष रहे हुए "म" के स्थान पर "य" अति की प्राप्ति का विधान
१८० "क" के स्थान पर "ख-ग-च-भ-म-ह" की प्राप्ति का विधान १८१ से १८६ ३७ "ख-ब-थ-घ-' के स्थान पर "ह" की प्राप्ति का विधान
१८७ ३५. थ" के स्थान पर "ध" की प्राप्ति का विधान
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२०६ २१३ २२०
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