Book Title: Pragnapana Sutra Part 04
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
View full book text
________________
५८
**klokk
प्रज्ञापना सूत्र
रसा ४, मणुण्णा फासा ५, मणोसुहया ६, वयसुहया ७, कायसुहया ८, जं वेएइ पोग्गलं वा पोग्गले वा पोग्गलपरिणामं वा वीससा वा पोग्गलाणं परिणामं तेसिं वा उदएणं सायावेयणिजं कम्मं वेएइ, एस णं गोयमा ! सायावेयणिज्जे कम्मे, एस णं गोयमा! सायावेथणिज्जस्स जाव अट्ठविहे अणुभावे पण्णत्ते ।
कठिन शब्दार्थ - मणुण्णा मनोज्ञ, मणोसुहया वयसुहया - वाक् सुखता - वचन संबंधी सुख, कायसुहया
मनः सुखता अर्थात् मन प्रसन्न रहना,
काय सुखता - शरीर का स्वस्थ एवं
सुखी होना ।
-
-
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! जीव के द्वारा बद्ध यावत् पुद्गल परिणाम को पाकर सातावेदनीय कर्म का अनुभाव कितने प्रकार का कहा गया है ?
उत्तर - हे गौतम! जीव के द्वारा बद्ध सातावेदनीयकर्म का यावत् आठ प्रकार का अनुभाव कहा गया है । वह इस प्रकार है- १. मनोज्ञ शब्द २. मनोज्ञ रूप ३. मनोज्ञ गन्ध ४. मनोज्ञ रस ५. मनोज्ञ स्पर्श ६. मनःसुखता - मन का प्रसन्न रहना ७. वाक् सुखता - वचन संबंधी सुख और ८. कायसुखता - शरीर का स्वस्थ और सुखी होना। जिस पुद्गल का अथवा पुद्गलों का अथवा पुद्गल परिणाम का या विस्सा - स्वभाव से पुद्गलों के परिणाम का वेदन किया जाता है, अथवा उनके उदय से सातावेदनीय कर्म को वेदा जाता । हे गौतम! यह सातावेदनीय कर्म है और हे गौतम! जीव के द्वारा बद्ध सातावेदनीयकर्म का यावत् आठ प्रकार का अनुभाव कहा गया है।
विवेचन - सातावेदनीय का आठ प्रकार का विपाक कहा गया है वह इस प्रकार है
Jain Education International
ooooooook
-
१. मनोज्ञ शब्द - बांसुरी, वीणा आदि बाहर से आते शब्द मनोज्ञ शब्द है। (यहाँ स्वयं के मनोज्ञ शब्द को ग्रहण नहीं करना क्योंकि उनका समावेश वचन सुख में होता है)।
२. मनोज्ञ रूप - स्वयं का, स्वयं की स्त्री का और स्वयं के चित्र आदि का मनोज्ञ रूप ।
३. मनोज्ञ गंध - कपूर, फूल, इत्र आदि पदार्थों की मनोज्ञ गंध ।
४. मनोज्ञ रस - इक्षु रस आदि मनोज्ञ रस ।
५. मनोज्ञ स्पर्श - शय्या आदि का मनोज्ञ स्पर्श ।
६. मनःसुखता - मनसि सुखं यस्य तस्यभावः-सुखकारक मन:-मन का सुख । ७. वाक् सुखता - वचन का सुख अर्थात् सभी के कान और मन को हर्ष उत्पन्न करने वाले वचन ।
८. कायसुखता - शरीर का सुख यानी सुखी शरीर । ये आठ पदार्थ साता वेदनीय के उदय से प्राणियों को प्राप्त होते हैं। अतः आठ प्रकार का साता वेदनीय का विपाक कहा है।
यहाँ पर मनोज्ञ शब्द आदि के द्वारा - स्वयं को दूसरों के मनोज्ञ शब्द आदि का संयोग मिले
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org