Book Title: Pragnapana Sutra Part 04
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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२६५ 다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다다
पैतीसवां वेदना पद - शीत आदि वेदना द्वार
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का वर्णन है। ७. निदा और अनिदा वेदना द्वार - सातवें द्वार में निदा और अनिदा के भेद से दो प्रकार की वेदनाओं का निरूपण किया गया है।
दूसरी गाथा में बताया गया है कि सभी जीव साता और असाता सुख दुःख और अदुःख सुख रूप वेदना वेदते हैं। एकेन्द्रिय विकलेन्द्रिय और असंज्ञी पंचेन्द्रिय जीव मन रहित वेदना वेदते हैं और शेष जीव दोनों प्रकार की शारीरिक और मानसिक वेदना वेदते हैं।
१.शीत आदि वेदना द्वार कइविहा णं भंते! वेयणा पण्णत्ता? गोयमा! तिविहा वेयणा पण्णत्ता। तंजहा - सीया, उसिणा, सीओसिणा। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! वेदना कितने प्रकार की कही गई है?
उत्तर - हे गौतम! वेदना तीन प्रकार की कही गई है, वह इस प्रकार है - १. शीत वेदना २. उष्ण वेदना और ३. शीतोष्ण वेदना।
विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में तीन प्रकार की वेदना कही गई है जो इस प्रकार है - १. शीत वेदना - शीत पुद्गलों के सम्पर्क से होने वाली वेदना २. उष्ण वेदना - उष्ण पुद्गलों के संयोग से होने वाली वेदना ३. शीतोष्ण वेदना - शीत-उष्ण पुद्गलों के संयोग से होने वाली वेदना।
णेरइया णं भंते! किं सीयं वेयणं वेदेति, उसिणं वेयणं वेदेति, सीओसिणं वेयणं वेदेति?
गोयमा! सीयं पि.वेयणं वेदेति, उसिणं पि वेयणं वेदेति, णो सीओसिणं वेयणं वेदेति। केई एक्केक्कपुढवीए वेयणाओ भणंति। . भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! नैरयिक शीत वेदना वेदते हैं, उष्ण वेदना वेदते हैं या शीतोष्ण वेदना वेदते हैं?
उत्तर - हे गौतम! नैरयिक शीत वेदना भी वेदते हैं, उष्ण वेदना भी वेदते हैं किन्तु शीतोष्ण वेदना नहीं वेदते हैं कोई कोई एक-एक (प्रत्येक) पृथ्वी में वेदना के विषय में कहते हैं - . रयणप्पभापुढविणेरइया णं भंते! पुच्छा?
गोयमा! णो सीयं वेयणं वेदेति, उसिणं वेयणं वेदेति, णो सीओसिणं वेयणं वेदेति, एवं जाव वालुंयप्पभापुढविणेरइया।
पंकप्पभापुढविणेरइयाणं पुच्छा?
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