Book Title: Pragnapana Sutra Part 04
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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प्रज्ञापना सूत्र ArlfrierlastersletteketeratulatakatectettletentertakestatemetaStratalent istreateEEEEEEEEEEEEEEEEEEletelelatele
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जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट संख्यात असंख्यात अथवा अनन्त कहने चाहिये। असुरकुमार के अतीत और अनागत कषाय समुद्घात के समान नागकुमार से लेकर स्तनितकुमार तक के भी नैरयिक पर्याय से लेकर वैमानिक पर्याय तक के चौबीस दण्डकों में अतीत और अनागत कपाय समुद्घात समझने चाहिये। विशेषता यह है कि इन सब ग्व स्थानों में अनागत कषाय समुद्घात जघन्य एक, दो, तीन और उत्कृष्ट संख्यात, असंख्यात और अनन्त कहने चाहिये।
पुढविकाइयस्स णेरइयत्ते जाव थणियकुमारत्ते अतीता अणंता, पुरेक्खडा कस्सइ अत्थि कस्सइ णत्थि, जस्सऽत्थि सिय संखिजा सिय असंखिजा. सिय अणंता। पुढविकाइयस्स पुढविकाइयत्ते जाव मणूसत्ते अतीता अणंता, पुरेक्खडा कस्सइ अस्थि कस्सइ णत्थि, जस्स अस्थि एगुत्तरिया।
वाणमंतरत्ते जहा णेरइयत्ते। जोइसियवेमाणियत्ते अतीता अणंता, पुरेक्खड़ा कस्सइ अत्थि कस्सइ णत्थि, जस्स अस्थि सिय असंखिजा, सिय अणंता एवं जाव मणूसे वि णेयव्वं।
वाणमंतर जोइसिय वेमाणिया जहा असुरकुमारा, णवरं सट्टाणे एगुत्तरियाए भाणियब्वे जाव वेमाणियस्स वेमाणियत्ते। एवं एए चउव्वीसं चउव्वीसा दंडगा ॥६९०॥
भावार्थ - पृथ्वीकायिक जीव के नैरयिक पर्याय में यावत् स्तनितकुमार पर्याय में अतीत कषाय समुद्घात अनन्त हुए हैं। अनागत कषाय समुद्घात किसी के होते हैं किसी के नहीं होते, जिसके होते हैं उसके कदाचित् संख्यात, कदाचित् असंख्यात और कदाचित् अनन्त होते हैं। पृथ्वीकायिक के पृथ्वीकायिक पर्याय में यावत् मनुष्य पर्याय में अतीत कषाय समुद्घात अनंत हुए हैं। अनागत कषाय समुद्घात किसी के होते हैं किसी के नहीं होते। जिसके होते हैं उसके एक से लगा कर अनंत होते हैं।
वाणव्यंतर पर्याय में नैरयिकत्व के समान समझना चाहिये। ज्योतिषी और वैमानिक पर्याय में अतीत कषाय समुद्घात अनन्त हुए हैं। अनागत कषाय समुद्घात किसी के होते हैं किसी के नहीं होते। जिसके होते हैं उसके कदाचित् असंख्यात और कदाचित् अनन्त होते हैं। इसी प्रकार यावत् मनुष्य पर्याय तक में भी समझ लेना चाहिये।
वाणव्यंतरों, ज्योतिषियों और वैमानिकों का वर्णन असुरकुमारों के समान समझना चाहिये। विशेषता यह है कि स्व स्थान में एक से लेकर समझना यावत् वैमानिक के वैमानिक पर्याय पर्यन्त कहना चाहिये। इसी प्रकार चौबीस दण्डक चौबीस दण्डकों में कहने चाहिये।
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