Book Title: Pragnapana Sutra Part 04
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 319
________________ प्रज्ञापना सूत्र ३०६ *tetectrickERE NCEEEEEEEEptpatriotsetteketteslettetatestetaketatestetstatestatestatestatestateateEleeantetterEditecteletest उनसे भी वैक्रिय समुद्घात वाले नैरयिक असंख्यातगुणा हैं क्योंकि रत्नप्रभा आदि सातों नरक पृथ्वियों में परस्पर दुःख उत्पन्न करने के लिए अनेकों नैरयिक निरन्तर उत्तर वैक्रिय करते रहते हैं। उनसे भी कषाय समुद्घात वाले नैरयिक संख्यातगुणा हैं क्योंकि उत्तर वैक्रिय करने वाले और उत्तरवैक्रिय नहीं करने वालों से भी क्रोधादि कषाय वाले नैरयिक संख्यातगुणा होते हैं। कषाय समुद्घात वाले नैरयिकों से भी वेदना समुद्घात वाले नैरयिक संख्यातगुणा अधिक होते हैं क्योंकि क्षेत्रजन्य, परमाधार्मिकों द्वारा उत्पन्न की हुई और परस्पर उत्पन्न की हुई वेदना के कारण प्राय: बहुत से नैरयिक वेदना समुद्घात वाले होते हैं। उनसे भी समुद्घात रहित नैरयिक संख्यात गुणा अधिक हैं क्योंकि बहुत से नैरयिक वेदना : समुद्घात के बिना भी वेदना का अनुभव करते रहते हैं इसलिए असमवहत नैरयिक सबसे ज्यादा हैं। एएसि णं भंते! असुरकुमाराणं वेयणा समुग्घाएणं कसाय समुग्घाएणं मारणंतिय समुग्घाएणं वेउब्विय समुग्घाएणं तेयगसमुग्धाएणं समोहयाणं असमोहयाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? ___ गोयमा! सव्वत्थोवा असुरकुमारा तेयगसमुग्धाएणं समोहया, मारणंतियसमुग्धाएणं समोहया असंखिजगुणा, वेयणा समुग्घाएणं समोहया असंखिजगुणा, कसायसमुग्घाएणं समोहया संखिज्जगुणा, वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहया संखिजगुणा, असमोहया असंखिज्जगुणा एवं जाव थणियकुमारा। . भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! इन वेदना समुद्घात से, कषाय समुद्घात से, मारणांतिक समुद्घात से, वैक्रिय समुद्घात से तथा तैजस समुद्घात से समवहत और असमवहत असुरकुमारों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? . उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े तैजस समुद्घात से समवहत असुरकुमार हैं, उनसे मारणांतिक समुद्घात से समवहत असुरकुमार असंख्यातगुणा हैं उनसे वेदना समुद्घात से समवहत असुरकुमार असंख्यातगुणा हैं, उनसे कषाय समुद्घात से समवहत असुरकुमार संख्यातगुणा हैं उनसे वैक्रिय समुद्घात से समवहत असुरकुमार संख्यातगुणा हैं और उनसे भी असमवहत असुरकुमार असंख्यातगुणा अधिक हैं। विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में असुरकुमार आदि में समुद्घात की अपेक्षा अल्पबहुत्व का कथन किया गया है। जो इस प्रकार है - सबसे थोड़े असुरकुमार तैजस समुद्घात वाले हैं क्योंकि अत्यन्त तीव्र क्रोध उत्पन्न होने पर ही कदाचित् कोई असुरकुमार तैजस समुद्घात करते हैं। उनसे मारणांतिक समुद्घात वाले असुरकुमार असंख्यातगुणा अधिक हैं क्योंकि मारणांतिक समुद्घात मरण काल में होता है। उनसे वेदना समुद्घात वाले असुरकुमार असंख्यातगुणा हैं क्योंकि परस्पर युद्ध आदि करने में बहुत से Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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