Book Title: Pragnapana Sutra Part 04
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 331
________________ ३१८ प्रज्ञापना सूत्र *rtakrilalcatalakakakakakakakakrtantakartamokalakatantaratmakatasoktateracticketekistafatostartertakestakatpstostoksattratakestakestaticketeketstakalestatesta विवेचन - छद्मस्थ (जिसे केवल ज्ञान नहीं हुआ हो) को होने वाले समुद्घात छाद्मस्थिक समुद्घात कहलाते हैं। केवली समुद्घात को छोड़ कर शेष छहों समुद्घात छाद्यस्थिक समुद्घात कहलाते हैं। चौबीस दण्डकों में छाद्मस्थिक समुद्घात णेरइयाणं भंते! कइ छाउमत्थिया समुग्घाया पण्णत्ता? गोयमा! चत्तारि छाउमत्थिया समुग्धाया पण्णत्ता। तंजहा - वेयणा समुग्घाए, कसाय समुग्घाए, मारणंतिय समुग्घाए, वेउव्विय समुग्घाए। असुरकुमाराणं पुच्छा? गोयमा! पंच छाउमत्थिया समुग्घाया पण्णत्ता। तंजहा - वेयणा समुग्घाए, कसाय समुग्घाए, मारणंतिय समुग्घाए, वेउब्विय समुग्घाए, तेयग समुग्घाए। एगिंदिय विगलिंदियाणं पुच्छा? गोयमा! तिण्णि छाउमत्थिया समुग्घाया पण्णत्ता। तंजहा - वेयणा समुग्धाएं, कसायसमुग्याए, मारणंतिय समुग्घाए, णवरं वाउकाइयाणं चत्तारि समुग्धाया पण्णत्ता। तंजहा - वेयणा समुग्घाए, कसाय समुग्घाए, मारणंतिय समुग्घाए, वेउव्विय समुग्धाए। पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा? गोयमा! पंच समुग्घाया पण्णत्ता। तंजहा - वेयणा समुग्घाए, कसाय समुग्घाए मारणंतिय समुग्घाए, वेउव्विय समुग्घाए, तेयग समुग्धाए। मणूसाणं भंते! कइ छाउमत्थिया समुग्घाया पण्णत्ता? गोयमा! छ छाउमत्थिया समुग्घाया पण्णत्ता। तंजहा - वेयणा समुग्घाए, कसाय समुग्घाए, मारणंतिय समुग्घाए, वेउब्विय समुग्घाए, तेयग समुग्घाए, आहारग समुग्घाए ॥७०१॥ भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! नैरयिकों में कितने छाद्मस्थिक समुद्घात कहे गए हैं ? उत्तर - हे गौतम! नैरयिकों में चार छाद्यस्थिक समुद्घात कहे गये हैं। वे इस प्रकार हैं - १. वेदना समुद्घात २. कषाय समुद्घात ३. मारणांतिक समुद्घात और ४. वैक्रिय समुद्घात। प्रश्न - हे भगवन् ! असुरकुमारों में कितने छाद्मस्थिक समुद्घात कहे गये हैं ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358