Book Title: Pragnapana Sutra Part 04
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
View full book text
________________
छत्तीसवां समुद्घात पद
-
समवहत एवं असमवहत जीवों के अल्पबहुत्व
३०७
असुरकुमार वेदना समुद्घात करते हैं। उनसे भी कषाय समुद्घात वाले असुरकुमार संख्यातगुणा हैं क्योंकि चाहे जिस कारण से उनमें कषाय समुद्घात संभव है। कषाय समुद्घात वाले असुरकुमार से भी वैक्रिय समुद्घात वाले असुरकुमार संख्यातगुणा हैं क्योंकि परिचारणा आदि अनेकों निमित्तों से बहुत से असुरकुमारों में उत्तरवैक्रिय शरीर का आरंभ संभव है। उनसे भी समुद्घात रहित असुरकुमार असंख्यातगुणा हैं क्योंकि बहुत से उत्तम जाति वाले और सुखसागर में लीन देव पूर्व की अपेक्षा असंख्यातगुणा किसी भी समुद्घात से रहित सदैव होते हैं। जिस प्रकार असुरकुमार का अल्पबहुत्व कहा है उसी प्रकार सभी भवनपति देवों यावत् स्तनितकुमारों का अल्पबहुत्व समझ लेना चाहिये।
Jain Education International
*******************************
एएसि णं भंते! पुढवीकाइयाणं वेयणासमुग्धाएणं कसायसमुग्धाएणं मारणंतियसमुग्धाएणं समोहयाणं असमोहयाण य कयरे कयरेहिंतों अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?
गोयमा ! सव्वत्थोवा पुढवीकाइया मारणंतिय समुग्धाएणं समोहया, कसाय समुग्धाएणं समोहया संखिज्जगुणा, वेयणा समुग्धाएणं समोहया विसेसाहिया, असमोहया असंखिज्जगुणा । एवं जाव वणस्सइकाइया, णवरं सव्वत्थोवा वाउक्काइया 'वेव्वियसमुग्धाएणं समोहया, मारणंतिय समुग्धाएणं समोहया असंखिज्जगुणा, कसाय समुग्धाएणं समोहया संखिज्जगुणा, वेयणासमुग्धाएणं समोहया विसेसाहिया, असमोहया असंखिज्जगुणा ।
-
भावार्थ - प्रश्न हे भगवन् ! इन वेदना समुद्घात से, कषाय समुद्घात से एवं मारणांतिक समुद्घात से समवहत और असमवहत पृथ्वीकायिकों में कौन किनसे अल्प, बहुत्व, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ?
उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े मारणांतिक समुद्घात से समवहत पृथ्वीकायिक हैं उनसे कषाय समुद्घात से समवहत पृथ्वीकायिक संख्यातगुणा है उनसे वेदना समुद्घात से समवहत पृथ्वीकायिक विशेषाधिक हैं और उनसे भी असमवहत पृथ्वीकायिक असंख्यातगुणा हैं। इसी प्रकार यावत् वनस्पतिकायिक तक समझना चाहिये। विशेषता यह है कि वायुकायिक जीवों में सबसे कम वैक्रिय समुद्घात से समवहत हैं, उनसे मारणांतिक समुद्घात से समवहत वायुकायिक असंख्यातगुणा हैं, उनसे कषाय समुद्घात से समवहत वायुकायिक असंख्यातगुणा हैं, उनसे वेदना समुद्घात से समवहत वायुकायिक विशेषाधिक हैं और उनसे भी असमवहत वायुकायिक जीव असंख्यातगुणा हैं।
विवेचन - वायुकाय को छोड़ कर पृथ्वीकाय आदि चार स्थावरों में सबसे थोड़े मारणांति
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org