Book Title: Pragnapana Sutra Part 04
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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छत्तीसवां समुद्घात पद - नैरयिक आदि भावों में वर्तते हुए एक-एक जीव के....
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गोयमा! णत्थि। केवइया पुरेक्खडा? गोयमा! णत्थि, एवं जाव वेमाणियत्ते, णवरं मणूसत्ते अतीता कस्सइ अस्थि, कस्सइ णत्थि, जस्सऽत्थि जहण्णेणं एक्को वा दो वा, उक्कोसेणं तिण्णि।
केवइया पुरेक्खडा?
गोयमा! कस्सइ अस्थि कस्सइ णत्थि, जस्सऽत्थि जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणे चत्तारि एवं सव्वजीवाणं मणुस्साणं भाणियव्वं।
- मणूस्स मणूसत्ते अतीता कस्सइ अस्थि कस्सइ णत्थि, जस्सऽत्थि जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिणि वा उक्कोसेणं चत्तारि, एवं पुरेक्खडा वि। एवमेए चउवीसं चउवीसा दंडगा जाव वेमाणियत्ते॥६९२॥-..
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! एक एक नैरयिक के नैरयिकत्व में कितने आहारक समुद्घात अतीत हुए हैं?
उत्तर - हे गौतम! एक-एक नैरयिक के नैरयिक पर्याय में अतीत आहारक समुद्घात नहीं होते।
प्रश्न - हे भगवन्! एक-एक नैरयिक के नैरयिकत्व में कितने अनागत आहारक समुद्घात होते हैं?.
.. उत्तर - हे गौतम! नैरयिक के नैरयिक पर्याय में अनागत आहारक समुद्घात भी नहीं होते। इसी प्रकार यावत् वैमानिक पर्याय में अतीत और अनागत आहारक समुद्घांत का कथन समझना चाहिये। विशेषता यह है कि मनुष्यत्व (मनुष्य पर्याय) में अतीत आहारक समुद्घात किसी के होता है और किसी के नहीं होता। जिसके होता है उसके जघन्य एक अथवा दो और उत्कृष्ट तीन होते हैं। . प्रश्न - हे भगवन् ! नैरयिक के मनुष्य पर्याय में अनागत आहारक समुद्घात कितने होते हैं ?
- उत्तर - हे गौतम! नैरयिक के मनुष्य पर्याय में अनागत आहारक समुद्घात किसी के होते हैं किसी के नहीं होते। जिसके होते हैं उसके जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट चार होते हैं। इसी प्रकार सभी जीवों और मनुष्यों के अतीत और अनागत आहारक समुद्घात के विषय में समझना चाहिये।
मनुष्य के मनुष्यत्व (मनुष्य पर्याय) में अतीत आहारक समुद्घात किसी के होते हैं, किसी के नहीं होते। जिसके होते हैं उसके जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट चार होते हैं। इसी प्रकार अनागत आहारक समुद्घात के विषय में समझना चाहिये। इस प्रकार ये चौबीस दण्डक चौबीस दण्डकों में यावत् वैमानिक के वैमानिकत्व में आहारक समुद्घात कहना चाहिये।
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