Book Title: Pragnapana Sutra Part 04
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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प्रज्ञापना सूत्र
२९० kickacterEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEtatestetateEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE:
...सचाहिये।
एक-एक असुरकुमार जब वह असुरकुमार पर्याय में था तब भूतकाल में अनन्त वेदना समुद्घात हुए हैं तथा भविष्य में किसी के वेदना समुद्घात होते हैं किसी के नहीं होते। जिसके होते हैं उसके जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट संख्यात, असंख्यात या अनन्त अनागत वेदना समुद्घात. होते हैं। जो असुरकुमार संख्यात बार असुरकुमार पर्याय में उत्पन्न होगा उसके संख्यात अनागत वेदना समुद्घात होते हैं। इसी प्रकार जो असुरकुमार असंख्यात बार या अनन्त बार असुरकुमार के रूप में उत्पन्न होगा उसके क्रमश: असंख्यात और अनन्त वेदना समुद्घात होंगे। जिस प्रकार असुरकुमार के असुरकुमार पर्याय में वेदना समुद्घात कहे हैं उसी प्रकार असुरकुमार के नागकुमार यावत् वैमानिक पर्याय में भी अतीत और अनागत वेदना समुद्घात कहने चाहिये।
जिस प्रकार असुरकुमार के नैरयिकत्व यावत् वैमानिकत्व में वेदना समुद्घात का कथन किया है उसी प्रकार नागकुमार आदि के वेदना समुद्घात के विषय में भी समझ लेना चाहिये। अर्थात् असुरकुमार के असुरकुमार रूप स्वस्थान में और असुरकुमार के नैरयिक आदि परस्थान में जितने जितने अतीत और अनागत वेदना समुद्घात कहे हैं उतने-उतने वेदना समुद्घात नागकुमार आदि से लेकर वैमानिकों तक में भी समझ लेने चाहिये।
इस प्रकार चौबीस दण्डकों में से प्रत्येक दण्डक का चौबीस दण्डकों को लेकर कथन करने से २४४२४ = ५७६ आलापक (भंग) होते हैं।
एगमेगस्स णं भंते! णेरइयस्स णेरइयत्ते केवइया कसायसमुग्घाया अतीता? गोयमा! अणंता। केवइया पुरेक्खडा? गोयमा! कस्सइ अस्थि कस्सइ णत्थि, जस्सऽत्थि एगुत्तरियाए जाव अणंता। कठिन शब्दार्थ - एगुत्तरियाए - एकोत्तर-एक से लेकर।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! एक-एक नैरयिक के नैरयिकत्व (नैरयिक पर्याय) में कितने कषाय समुद्घात अतीत हुए हैं ?
उत्तर - हे गौतम! एक-एक नैरयिक के नैयिकत्व में अतीत कषाय समुद्गात अनन्त हुए हैं। प्रश्न - हे भगवन्! एक-एक नैरयिक के नैरयिकत्व में कितने अनागत कषाय समुद्घात होते हैं ?
उत्तर - हे गौतम! एक-एक नैरयिक के नैरयिकत्व में अनागत कषाय समुद्घात किसी के होते हैं और किसी के नहीं होते। जिसके होते हैं उसके एक से लेकर यावत् अनंत होते हैं।
विवेचन - एक-एक नैरयिक के नैरयिक अवस्था में सम्पूर्ण अतीत काल की अपेक्षा अनंत कषाय समुद्घात हुए हैं। भविष्य काल की अपेक्षा कषाय समुद्घात किसी के होते हैं किसी के नहीं
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