Book Title: Pragnapana Sutra Part 04
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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प्रज्ञापना सूत्र
- गोयमा! पंच समुग्घाया पण्णत्ता। तंजहा - वेयणासमुग्घाए, कसायसमुग्घाए, मारणंतियसमुग्धाए, वेउब्वियसमुग्धाए, तेयासमुग्घाए। णवरं मणुस्साणं सत्तविहे समुग्घाए पण्णत्ते। तंजहा - वेयणासमुग्याए, कसायसमुग्घाए, मारणंतियसमुग्घाए, वेउव्वियसमुग्याए, तेयासमुग्धाए, आहारगंसमुग्याए, केवलिसमुग्घाए॥६८६॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! नैरयिकों के कितने समुद्घात कहे गये हैं ?
उत्तर - हे गौतम! नैरयिकों के चार समुद्घात कहे गये हैं। वे इस प्रकार हैं - १. वेदना समुद्घात २. कषाय समुद्घात ३. मारणांतिक समुद्घात और ४. वैक्रिय समुद्घात। . . .
प्रश्न - हे भगवन्! असुरकुमारों के कितने समुद्घात कहे गये हैं ?
उत्तर - हे गौतम! असुरकुमारों के पांच समुद्घात कहे गये हैं। यथा - १. वेदना समुद्घात २. कषाय समुद्घात ३. मारणांतिक समुद्घात ४. वैक्रिय समुद्घात और ५. तैजस् समुद्घात। इसी प्रकार यावत् स्तनितकुमार तक कहना चाहिये।
प्रश्न - हे भगवन् ! पृथ्वीकायिकों के कितने समुद्घात कहे गये हैं ?
उत्तर - हे गौतम! पृथ्वीकायिकों के तीन समुद्घात कहे गये हैं। यथा - १. वेदना समुद्धात २. कषाय समुद्घात और ३. मारणांतिक समुद्घात। इसी प्रकार यावत् चरिन्द्रिय तक कह देना चाहिये। विशेषता यह है कि वायुकायिक जीवों के चार समुद्घात कहे गये हैं जो इस प्रकार हैं - १. वेदना समुद्घात २. कषाय समुद्घात ३. मारणांतिक समुद्घात ४. वैक्रिय समुद्घात।
प्रश्न - हे भगवन्! पंचेन्द्रिय तिर्यंच यावत् वैमानिक तक कितने समुद्घात कहे गये हैं ?
उत्तर - हे गौतम! उनके पांच समुद्घात कहे गये हैं। यथा - १. वेदना समुद्घात २. कषाय समुद्घात ३. मारणांतिक समुद्घात ४. वैक्रिय समुद्घात और ५. तैजस समुद्घात। विशेषता यह है कि मनुष्यों के सात समुद्घात कहे गये हैं। यथा - १. वेदना समुद्घात २. कषाय समुद्घात ३. मारणांतिक समुद्घात ४. वैक्रिय समुद्घात ५. तैजस समुद्घात ६. आहारक समुद्घात ७. केवली समुद्घात।
विवेचन - नैरयिकों में प्रारम्भ की चार समुद्घात पाई जाती है। भवनपति, वाणव्यंतर, ज्योतिषी और पहले से बारहवें देवलोक तक के देवों में पहली पांच समुद्घात पाई जाती है। नवग्रैवेयक और अनुत्तर विमान में पहली तीन समुद्घात होती है। इनमें शक्ति से पांचों समुद्घात होती है लेकिन ये करते नहीं हैं। चार स्थावर और तीन विकलेन्द्रिय में पहली तीन समुद्घात होती हैं और वायुकाय में पहली चार समुद्घात होती हैं। तिर्यंच पंचेन्द्रियों में प्रथम की पांच और मनुष्यों में सातों समुद्घात होती हैं।
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