Book Title: Pragnapana Sutra Part 04
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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तेईसवाँ कर्म प्रकृति पद द्वितीय उद्देशक कर्मों की मूल एवं उत्तर प्रकृतियाँ १३५
गोयमा ! णो णेरइओ बंधइ, तिरिक्खजोणिओ बंधइ, णो तिरिक्खजोणिणी बंध, मणुस्सो वि बंधइ, मणुस्सी वि बंधइ, णो देवो बंधइ, णो देवी बंधइ ।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! उत्कृष्ट काल की स्थिति वाले आयुष्य कर्म को क्या नैरयिक बांधता है, यावत् देवी बांधती है ?
उत्तर - हे गौतम! उत्कृष्ट काल की स्थिति वाले आयुष्य कर्म को नैरयिक नहीं बांधता, तिर्यंच बांधता है, किन्तु तिचिनी नहीं बांधती, मनुष्य बांधता है, मनुष्य स्त्री बांधती है, किन्तु देव भी नहीं बांधते और देवी भी नहीं बांधती ।
विवेचन - उत्कृष्ट स्थिति वाले आयुष्य कर्म के बंध के विषय में नैरयिक, तिर्यंच स्त्री, देव और देवी का निषेध किया है क्योंकि ये उत्कृष्ट स्थिति वाले नैरयिकों में उत्पन्न नहीं होते हैं।
केरिस णं भंते! तिरिक्खजोणिए उक्कोसकालट्ठिइयं आउयं कम्मं बंधइ ?
गोयमा! कम्मभूमए वा कम्मभूमगपलिभागी वा सण्णी पंचिंदिए सव्वाहिं पज्जत्तीहिं पज्जत्तए सागारे जागरे सुत्तोवउत्ते मिच्छद्दिट्टी परमकण्हलेसे उक्कोससंकिलिट्ठपरिणामे, एरिसए णं गोयमा ! तिरिक्खजोणिए उक्कोसकालट्ठिइयं आउयं कम्मं बंधइ ।
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भावार्थ - प्रश्न हे भगवन्! किस प्रकार का तिर्यंच उत्कृष्ट काल की स्थिति वाले आयुष्य कर्म को बांधता है ?
उत्तर - हे गौतम! जो कर्मभूमक- कर्मभूमि में उत्पन्न हो या कर्मभूमक प्रतिभागी - कर्म भूमिज के समान हो, संज्ञी पंचेन्द्रिय, सर्व पर्याप्तियों से पर्याप्त, साकार- ज्ञानोपयोग वाला, जागृत, श्रुत में उपयोग वाला, मिथ्यादृष्टि, परमकृष्ण लेश्या वाला हो, उत्कृष्ट संक्लिष्ट परिणाम वाला हो, ऐसा तिर्यंच उत्कृष्ट स्थिति वाले आयुष्य कर्म को बांधता है।
केरिसए णं भंते! मणूसे उक्कोसकालट्ठिइयं आउयं कम्मं बंधइ ?
गोयमा ! कम्मभूमए वा कम्मभूमगपलिभागी वा जाव सुत्तोवउत्ते सम्मदिट्ठी वा मिच्छदिट्ठी वा कण्हलेसे वा सुक्कलेसे वा णाणी वा अण्णाणी वा उक्कोससंकि लिट्ठपरिणामे वा तप्पाउग्गविसुज्झमाणपरिणामे वा, एरिसए णं गोयमा ! मणूसे उक्कोसकालट्ठिइयं आउयं कम्मं बंधइ ।
कठिन शब्दार्थ - तप्पाउग्गविसुज्झमाणपरिणामे तत्प्रायोग्य ( उसके योग्य) विशुद्ध होते हुए परिणाम वाला।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! किस प्रकार का मनुष्य उत्कृष्ट काल की स्थिति वाले आयुष्यकर्म को बांधता है ?
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