Book Title: Pragnapana Sutra Part 04
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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उनतीसवां उपयोग पद
णाणसागारोवओगे। मइअण्णाणसागारोवओगे, सुयअण्णाणसागारोवओगे, विभंगणाणसागारोवओगे।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! साकार उपयोग कितने प्रकार का कहा गया है? - उत्तर - हे गौतम! साकारोपयोग आठ प्रकार का कहा गया है, वह इस प्रकार है - १. आभिनिबोधिक ज्ञान साकारोपयोग २. श्रुतज्ञान साकारोपयोग ३. अवधिज्ञान साकारोपयोग ४. मनःपर्यवज्ञान साकारोपयोग ५. केवलज्ञान साकारोपयोग ६. मति अज्ञान साकारोपयोग ७. श्रुत अज्ञान साकारोपयोग और ८. विभंग ज्ञान साकारोपयोग।
अणागारोवओगे णं भंते! कइविहे पण्णत्ते?
गोयमा! चउविहे पण्णत्ते। तंजहा - चक्खुदंसणअणागारोवओगे, अचक्खदंसणअणागारोवओगे, ओहिदंसणअणागारोवओगे, केवलदसणअणागारोवओगे य। एवं जीवाणं पि॥६५८॥ .
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! अनाकार उपयोग कितने प्रकार का कहा गया है ? - उत्तर - हे गौतम! अनाकारोपयोग चार प्रकार का कहा गया है, वह इस प्रकार है - चक्षुदर्शन अनाकारोपयोग, अचक्षुदर्शन अनाकारोपयोग, अवधिदर्शन अनाकारोपयोग और केवलदर्शन अनाकारोपयोग। इसी प्रकार समुच्चय जीवों के विषय में भी कहना चाहिये।
णेरइयाणं भंते! कइविहे उवओगे पण्णत्ते? गोयमा! दुविहे उवओगे पण्णत्ते। तंजहा-सागारोवओगे य अणागारोवओगे य। णेरइयाणं भंते! सागारोवओगे कइविहे पण्णत्ते? गोयमा! छविहे पण्णत्ते। तंजहा - मइणाणसागारोवओगे, सुयणाणसागारोवओगे, ओहिणाणसागारोवओगे, मइअण्णाणसागारोवओगे, सुयअण्णाणसागारोवओगे, विभंगणाणसागारोवओगे।
णेरइयाणं भंते! अणागारोवओगे कइविहे पण्णत्ते?
गोयमा! तिविहे पण्णत्ते।तंजहा - चक्खुदंसणअणागारोवओगे, अचक्खुदंसणअणागारोवओगे, ओहिदंसणअणागारोवओगे, एवं जाव थणियकुमाराणं।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! नैरयिकों का उपयोग कितने प्रकार का कहा गया है?
उत्तर - हे गौतम! नैरयिकों का उपयोग दो प्रकार का कहा गया है। यथा - साकारोपयोग और अनाकारोपयोग।
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