Book Title: Pragnapana Sutra Part 04
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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२१८ *reakkakkactokalakakakakakaka
प्रज्ञापना सूत्र
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चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन, अवधिदर्शन और केवलदर्शन रूप चार प्रकार का अनाकार उपयोग कहा गया है जबकि अनाकार पश्यत्ता तीन प्रकार की कही गई है। अचक्षुदर्शन अनाकार पश्यत्ता नहीं कहने का कारण है कि आत्मा चक्षुरिन्द्रिय की तरह शेष इन्द्रियों और मन से स्पष्ट नहीं देखता है। अचक्षुदर्शन अनाकार पश्यत्ता रूप नहीं होने से तीन प्रकार की अनाकार पश्यत्ता कही है। चक्षुदर्शन अवधिदर्शन और केवलदर्शन में ही अनाकार पश्यत्ता का लक्षण घटित होता है।
जेरइयाणं भंते! कइविहा पासणया पण्णत्ता? गोयमा! दुविहा पण्णत्ता। तंजहा - सागारपासणया अणागारपासणया। णेरइयाणं भंते! सागारपासणया कइविहा पण्णत्ता?
गोयमा! चउव्विहा पण्णत्ता। तंजहा-सुयणाणपासणया, ओहिणाणपासणया, सुयअण्णाणपासणया, विभंगणाणपासणया।
णेरइयाणं भंते! अणागारपासणया कइविहा पण्णत्ता?
गोयमा! दुविहा पण्णत्ता। तंजहा - चक्खुदंसण अणागारपासणया य ओहिदंसणअणागारपासणया, एवं जाव थणियकुमारा।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! नैरयिकों की पश्यत्ता कितने प्रकार की कही गई हैं ?
उत्तर - हे गौतम! नैरयिकों की पश्यत्ता दो प्रकार की कही गई है। यथा-साकार पश्यत्ता और अनाकार पश्यत्ता।
प्रश्न - हे भगवन् ! नैरयिकों की साकार पश्यत्ता कितने प्रकार की कही गई है? . .
उत्तर - हे गौतम! नैरयिकों की साकार पश्यत्ता चार प्रकार की कही गई है, वह इस प्रकार है - १. श्रुतज्ञान साकार पश्यत्ता २. अवधिज्ञान साकार पश्यत्ता ३. श्रुत अज्ञान साकार पश्यत्ता और ४. विभंगज्ञान साकार पश्यत्ता।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! नैरयिकों की अनाकार पश्यत्ता कितने प्रकार की कही गई है?
उत्तर - हे गौतम! नैरयिकों की अनाकार पश्यत्ता दो प्रकार की कही गई है। यथा-चक्षुदर्शन अनाकार पश्यत्ता और अवधिदर्शन अनाकार पश्यत्ता। इसी प्रकार यावत् स्तनितकुमारों तक समझना चाहिये।
पुढविकाइयाणं भंते! कइविहा पासणया पण्णत्ता? गोयमा! एगा सागारपासणया पण्णत्ता। पुढविकाइयाणं भंते! सागारपासणया कइविहा पण्णत्ता? : गोयमा! एगा सुयअण्णाणसागारपासणया पण्णत्ता, एवं जाव वणस्सइकाइयाणं।
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