Book Title: Pragnapana Sutra Part 04
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
View full book text
________________
चौबीसवां कर्मबंध पद
...........१३९ सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छविहबंधए य २, अहवां सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छविहबंधगा य ३। ___ भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! बहुत जीव ज्ञानावरणीय कर्म को बांधते हुए कितनी कर्म प्रकृतियाँ बांधते हैं?
उत्तर - हे गौतम! १. सभी जीव सात या आठ कर्म-प्रकृतियों के बन्धक होते हैं, २. अथवा बहुत से जीव सात या आठ कर्म-प्रकृतियों के बन्धक और कोई एक जीव छह कर्म प्रकृतियों का बन्धक होता है ३अथवा बहुत से जीव सात, आठ या छह कर्म-प्रकृतियों के बन्धक होते हैं।
विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में बहुत से जीवों की अपेक्षा कर्म बंधन का कथन किया गया है। सभी जीव सात कर्म के बंधक या आठ कर्म के बंधक सदैव बहुत होते हैं किन्तु छह कर्म के बंधक जीव किसी समय मिलते हैं और किसी समय नहीं मिलते हैं। क्योंकि उनका उत्कृष्ट छह मास का अंतर कहा गया है। जब छह कर्म का बंध जीव करता है तब जघन्य एक, दो और उत्कृष्ट एक सौ आठ होते हैं। जब छह कर्म का बंधक एक भी जीव नहीं होता है तब प्रथम भंग पाया जाता है। जब छह कर्म का बंधक एक जीव होता है तब दूसरा भंग और जब छह कर्म के बंधक बहुत से जीव होते हैं तब तीसरा भंग होता है। तीनों भंग भावार्थ में बता दिये गये हैं। ___णेरइया णं भंते! णाणावरणिजं कम्मं बंधमाणा कइ कम्मपगडीओ बंधति?
गोयमा! सव्वे वि ताव शेजा सत्तविहबंधगा १, अहवा सत्तविहबंधगा य अविहबंधए य २, अहवा सत्तविहबंधगा य अविहबंधगा य ३, तिण्णि भंगा। एवं जाव थणियकुमारा। .. भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! बहुत से नैरयिक ज्ञानावरणीय कर्म को बांधते हुए कितनी कर्मप्रकृतियां बांधते हैं?
उत्तर - हे गौतम! १. सभी नैरयिक सात कर्म-प्रकृतियों के बन्धक होते हैं २. अथवा बहुत से नैरयिक सात कर्म-प्रकृतियों के बन्धक और एक नैरयिक आठ कर्म-प्रकृतियों का बन्धक होता है ३. . अथवा बहुत से नैरयिक सात या आठ कर्म प्रकृतियों के बन्धक होते हैं। ये तीन भंग होते हैं। इसी प्रकार यावत् स्तनितकुमारों तक समझना चाहिए।
विवेचन - नैरयिक छह कर्म के बंधक होते ही नहीं हैं और आठ कर्म के बंधक भी कदाचित् होते हैं उनमें जब एक भी नैरयिक आठ कर्म का बंधक नहीं होता तब सभी सात कर्म के बंधक होते हैं - यह प्रथम भंग। जब एक नैरयिक आठ कर्म का बंधक होता है तब दूसरा भंग
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org