Book Title: Pragnapana Sutra Part 04
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
View full book text
________________
Jain Education International
अबाधाकाल निवेककाल सेवार्त्तसंहननवत् सेवार्तसंहननवत्
शुक्लवर्णवत्
शुक्लवर्णवत्
वार्तवत्
सेवार्तवत्
।
२००० वर्ष
उत्कृष्ट स्थिति में दो .. हजार वर्ष कम
कम कर्मप्रकृति का नाम जघन्य स्थिति
उत्कृष्ट स्थिति ७८-८१. अप्रशस्त स्पर्श चार (कर्कश, सेवार्तसंहनन के समान सेवार्तसंहननवत्
गुरु, रूक्ष, शीत) .८२-८५. प्रशस्त स्पर्श चार (मृदु, लघु, शुक्लवर्णनामकर्म की स्थिति शुक्लवर्णवत् स्निग्ध, उष्ण)
के समान ८६. अगुरुलघुनामकर्म
सेवार्तसंहनन के समान
सेवार्तवत्से ८७. उपघातनामकर्म ८८. पराघात नामकर्म ८९. नरकानुपूर्वीनामकर्म पल्योपम के असंख्यातवें २० कोड़ाकोड़ी सागरोपम
भाग कम सहस्र सागरोपम
का भाग ९०. तिथंचानुपूर्वीनामकर्म पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम " " " "
सागरोपम का २ भाग ९१. मनुष्यानुपूर्वीनामकर्म पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम १५ कोड़ाकोड़ी सागरोपम
सागरोपम का "भाग ९२. देवानुपूर्वीनामकर्म पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम १० कोड़ाकोड़ी सागरोपम
सहस्र सागरोप ९३. उच्छ्वासनामकर्म पल्योपम के असंख्यातवें २० कोडाकोड़ी सागरोपम
भाग कम सागरोपम का भाग आतपनामकर्म ९५. उद्योतनामकर्म
"
"
"
"
"
"
For Personal & Private Use Only
११६
१५०० वर्ष
१००० वर्ष
उत्कृष्ट स्थिति में १५०० वर्ष कम उत्कृष्ट स्थिति में १००० वर्ष कम उत्कृष्ट स्थिति में २ . हजार वर्ष कम
२००० वर्ष
९४.
www.jainelibrary.org