Book Title: Pragnapana Sutra Part 04
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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क्रम
९६.
९७.
९८.
१९.
१००.
१०१.
१०४.
१०५.
कर्मप्रकृति का नाम प्रशस्तविहायोगतिनामकर्म
१०६.
१०७.
अप्रशस्तविहायोगतिनामकर्म
त्रसनामकर्म स्थावरनामकर्म
सूक्ष्मनामकम
१०२. : : पर्याप्तनामकर्म
१०३.
बादरनामकर्म
अपर्याप्तनामकर्म
साधारणशरीरनामकर्म
प्रत्येकशरीरनामकर्म
अस्थिरनामकर्म
स्थिरनामकर्म
जघन्य स्थिति
पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम
सागरोपम का
भाग
पल्योपम के असंख्यातवें
भाग कम सागरोपम का
11
11 11 1
"1
१.
91
पल्योपम के असंख्यातवें
"1
"
भाग कम
का भाग
पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम
सागरोपम का भाग
बादर के समान
पल्योपम के असंख्यातवें
"
भाग कम सागरोपम का उद
11
पल्योपम के असंख्यातवें
예금
भाग
भाग कम सागरोपम का
** ** ** 11
पल्वोपम के असंख्यातवें
भाग कम सागरोपम का
भाग
भाग
भाग
उत्कृष्ट स्थिति
१० कोड़ाकोड़ी सागरोपम
२० कोड़ाकोड़ी सागरोपम
11
11
"
11
"1
11
11
१८ कोड़ाकोड़ी सागरोपम
11
11
२० कोड़ाकोड़ी सागरोपम
बादरवत्
१८ कोड़ाकोड़ी सागरोपम
२० कोड़ाकोड़ी सागरोपम
11 11
१० कोड़ाकोड़ी सागरोपम
11
अबाधाकाल १००० वर्ष
२००० वर्ष
11
"1
"
१८०० वर्ष
२००० वर्ष
बादरवत्
१८०० वर्ष
"1 "1
२००० वर्ष
"1 "1
१००० वर्ष
निषेककाल
उत्कृष्ट स्थिति में १
हजार वर्ष कम
उत्कृष्ट स्थिति में २
हजार वर्ष कम
11.
11
11
वर्ष कम
:
उत्कृष्ट स्थिति में १८००
वर्ष कम
उत्कृष्ट स्थिति में २०००
वर्ष कम
बादरवत्
उत्कृष्ट स्थिति में १८००
11
11
11
11
""
"1 "1
उत्कृष्ट स्थिति में २
हजार वर्ष कम
""
उत्कृष्ट स्थिति में १
हजार वर्ष कम
११७