Book Title: Pragnapana Sutra Part 04
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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१०४ . REEEEEEEEEEEEEenterterNEEEEEEE
प्रज्ञापना सूत्र EEEEEEkletstakestatetasatsanketakarketrictEEEEEEEEEEEcketstectetkaEEEEEEEEElect
णीलवण्ण णामाए पुच्छा?
गोयमा! जहण्णेणं सागरोवमस्स सत्त अट्ठावीसइभागा पलिओवमस्स असंखिजइभागेणं ऊणया, उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमकोडाकोडीओ, अट्ठारस वाससयाइं अबाहा।
कालवण्ण णामाए जहा छेवट्ठसंघयणणामस्स। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! शुक्ल वर्ण नाम कर्म की स्थिति कितने काल की कही गई है?
उत्तर - हे गौतम! शुक्ल वर्ण नाम कर्म की जघन्य स्थिति पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम के - भाग की है और उत्कृष्ट स्थिति दस कोडाकोडी सागरोपम की है। अबाधाकाल दस सौ (एक हजार) वर्ष का है।
प्रश्न - हे भगवन् ! हारिद्र (पीत) वर्ण नाम कर्म की स्थिति कितने काल की कही गई है?
उत्तर - हे गौतम! हारिद्र वर्ण नाम कर्म की जघन्य स्थिति पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम के भाग की और उत्कृष्ट स्थिति साढ़े बारह कोडाकोड़ी सागरोपम की है। अबाधाकाल साढ़े बारह सौ वर्ष का है।
प्रश्न - हे भगवन्! लोहित (रक्त) वर्ण नाम कर्म की स्थिति कितने काल की कही है ?
उत्तर - हे गौतम! लोहित वर्ण नाम कर्म की जघन्य स्थिति पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम के ,, भाग की है और उत्कृष्ट स्थिति पन्द्रह कोडाकोडी सागरोपम की है। अबाधाकाल पन्द्रह सौ वर्ष का है।
प्रश्न - हे भगवन् ! नील वर्ण नाम कर्म की स्थिति कितने काल की कही गई है?
उत्तर - हे गौतम! नील वर्ण नाम कर्म की जघन्य स्थिति पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम के , भाग की और उत्कृष्ट स्थिति साढ़े सत्तरह कोडाकोडी सागरोपम की है। अबाधाकाल साढ़े सत्तरह सौ वर्ष का है।
कृष्ण (काला) वर्ण नाम कर्म की स्थिति सेवार्त्त संहनन नाम कर्म की स्थिति के समान है। सुब्भिगंध णामाए पुच्छा?
गोयमा! जह सुक्किल्लवण्णणामस्स, दुभिगंधणामाए जहा छेवट्ठसंघयणस्स, रसाणं महुराईणं जहा वण्णाणं भाणियं तहेव परिवाडीए भाणियव्वं।
कठिन शब्दार्थ - परिवाडीए - परिपाटी (क्रम) से।
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