Book Title: Pragnapana Sutra Part 04
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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तेईसवाँ कर्म प्रकृति पद - द्वितीय उद्देशक कर्मों की मूल एवं उत्तर प्रकृतियाँ
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५. वीर्यान्तराय - शरीर नीरोग हो, तरुण अवस्था हो, बलवान् हो फिर भी जिस कर्म के उदय से जीव अपनी शक्ति का उपयोग न कर सके, वह वीर्यान्तराय कर्म है। इसके तीन भेद होते हैं । यथा : १. बाल वीर्यान्तराय - वह कर्म जिसके उदय से संसारी कार्यों को करने में समर्थ होने पर भी जिसके उदय से न कर सके।
२. पण्डित वीर्यान्तराय - वह कर्म जिसके उदय से मोक्ष की इच्छा रखते हुए भी साधु साध्वी संयम प्रायोग्य क्रियाओं को कर न सके।
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३. बाल पण्डित वीर्यान्तराय - देश विरति ( श्रावक पना) को पालना चाहते हुए भी जिस कर्म के उदय से पाल न सके वह बाल पण्डित वीर्यान्तराय कर्म है।
णाणावरणिज्जस्स णं भंते! कम्मस्स केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? गोमा ! जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तीसं सागरोवमकोडाकोडीओ, तिण्णि य वाससहस्साइं अबाहा, अबाहूणिया कम्पठिई कम्मणिसेगो ॥ ६१८ ॥ कठिन शब्दार्थ - अबाहा अबाधाकाल, अबाहुणिया
अबाधाकाल कम करने पर,
कम्मठिई - कर्म स्थिति, कम्मणिसेगो - कर्म - निषेक |
उत्तर
भावार्थ - प्रश्न हे भगवन् ! ज्ञानावरणीय कर्म की स्थिति कितने काल की कही गई है ? हे गौतम! ज्ञानावरणीय कर्म की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट तीस कोड़ाकोड़ी सागरोपम की कही गयी है। उसका अबाधाकाल तीन हजार वर्ष का है । सम्पूर्ण कर्मस्थिति काल में से अबाधाकाल को कम करें पर शेष काल कर्मनिषेक का काल है ।
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विवेचन प्रस्तुत सूत्र में ज्ञानावरणीय कर्म की स्थिति, अबाधाकाल और निषेक काल का कथन किया गया है। इनका अर्थ इस प्रकार है -
१. कर्म स्थिति - कर्मों के अधिकतम और न्यूनतम समय तक आत्मा के साथ लगे रहने के काल को कर्म स्थिति कहते हैं ।
२. अबाधाकाल - कर्म बंधने के बाद अमुक समय तक किसी भी प्रकार के फल न देने की अवस्था को अबाधा काल कहते हैं।
३. कर्म निषेक - कर्म की उत्कृष्ट स्थिति में से अबाधा काल को कम करने पर जितने काल की उत्कृष्ट स्थिति रहती है वह उसके कर्म निषेक का काल अर्थात् अनुभव योग्य स्थिति का काल है । ज्ञानावरणीय कर्म की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त उत्कृष्ट ३० कोडाकोडी सागरोपम है, अबाधा काल तीन हजार वर्ष का है और ३० कोडाकोडी सागरोपम में से ३ हजार वर्ष कम उसका निषेक काल है । णिद्दापंचगस्स णं भंते! कम्मस्स केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ?
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