________________
संयोगवश मेरा एक मित्र जो सरदार ही था और जो एक बड़े पुलिस अफसर थे, वह भी उसी सड़क पर साथ ही आ रहे थे। मनाली में ध्यान शिविर में भाग लेने के लिए वह मेरे पीछे ही आ रहा था। उसकी कार उसी जगह आ पहुंची, जहां हम रुक गये थे। सो मैंने उससे कहा, 'कुछ करो। यह आदमी तो कार से उतर पड़ा है। पुलिस अफसर उस आदमी के पास गया और बोला, 'तुम एक सरदार, एक सिख हो और ऐसे डरपोक? चलो कार में जाओ।' वह आदमी फौरन कार में आ बैठा। कार चला दी। तो मैंने उससे पूछा, 'क्या हुआ? वह बोला, 'अब उसने मेरे अहंकार को छू दिया है। उसने कहा था, तुम कैसे सरदार हो? सरदार का अर्थ है, लोगों का अगुआ। एक सिख और ऐसा डरपोक? उसने मेरी कल्पना को जगा दिया है। उसने मेरे स्वाभिमान को छ दिया है।' उस आदमी ने कहा, अब हम जा सकते हैं। मुर्दा या जिन्दा हम मनाली पहुंचेंगे।'
और ऐसा केवल एक व्यक्ति के साथ घटित नही हुआ है। यदि तुम पंजाब जाओ, तो तुम देखोगे कि ऐसा लाखों के साथ घटित हुआ है। पंजाब के हिंदुओं और पंजाब के सिखों को जरा देखना। उनका खून एक ही है, वे एक ही प्रजाति के हैं। केवल पांच सौ वर्ष पहले सब हिंदू ही थे। लेकिन एक अलग तरह की प्रजाति, एक अलग तरह की सैनिक जाति पैदा हो गयी। केवल दाढ़ी बढा लेने से. केवल अपना चेहरा भर बदल लेने से, तम बहादर नहीं बन सकते। लेकिन तुम बन सकते हो। यह केवल कल्पनाशक्ति की बात है।
नानक ने सिखों को एक कल्पना दे दी कि उनकी एक भिन्न प्रजाति है। उन्होंने उनसे कहा, 'तुम अजेय हो।' और एक बार उन्होंने इस पर विश्वास कर लिया, एक बार पंजाब में कल्पनाशक्ति कार्य करने लगी तो पांच सौ वर्षों के भीतर, पंजाबी हिंदुओं से बिलकुल भिन्न एक नयी प्रजाति अस्तित्व में आ गयी। भारत में उनसे ज़्यादा बहादुर कोई नहीं हैं। इन दो विश्वयुद्धों से प्रमाणित हो गया है कि सारी पृथ्वी पर सिखों की कोई तुलना नहीं। वे निडरता से लड सकते है।
क्या घटित हो गया है? इतना ही हुआ है कि उनकी कल्पनाशक्ति ने उनके आस-पास एक वातावरण निर्मित कर दिया है। वे करते हैं कि केवल सिख हो जाने से ही वे भिन्न हो जाते हैं। कल्पना काम करती है। यह तुम्हें बहादुर आदमी बना सकती है, यह तुम्हें डरपोक बना सकती है।
मैंने सुना है कि मुल्ला नसरुद्दीन एक शराबखाने में बैठा शराब पी रहा था। वह बहादुर आदमी नहीं था, वह सबसे बड़े डरपोकों में से एक था। लेकिन शराब ने उसे हिम्मत दे दी। तभी एक उगदमी, एक भीमकाय आदमी शराबखाने में दाखिल हुआ। वह क्रूर आकृति का था, खतरनाक दिखता था, वह खूनी जैसा लगता था। किसी और वक्त मुल्ला होश में होता, तब डर गया होता। लेकिन अब वह नशे में था, इसलिए वह बिलकुल भयभीत नहीं था।