Book Title: Patanjali Yoga Sutra Part 01
Author(s): Osho
Publisher: Unknown

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Page 430
________________ हो। यदि तुम कहते हो, 'यह गलत है', वह गलत है तो तुम गलत पर बहुत ज्यादा ध्यान दे रहे हो। तुम गलत के साथ आसक्त हो जाओगे। यदि तुम किसी चीज पर बहुत ज्यादा ध्यान देते हो, तो तुम सम्मोहित हो जाते हो। और जिस किसी चीज की तुम निंदा कर रहे हो, तुम उसे करोगे। क्योंकि वह बात एक आकर्षण बन जायेगी, एक गहन आकर्षण। अन्यथा क्यों चिंता करनी? वे दुष्ट हैं, पापी है, लेकिन तुम कौन होते हो उनके बारे में चिंता करने वाले? जीसस कहते है, 'तुम मूल्यांकन मत करना।' यह अर्थ करते है पतंजलि उपेक्षा का किसी भी ढंग से आलोचना मत करना,तटस्थ बने रहना। मत कहना हां या नहीं। मत करना निंदा, मत करना प्रशंसा। बस इसे छोड़ देना दिव्यता पर। इससे कुछ लेना-देना नहीं है तुम्हारा। एक आदमी चोर है, यह उसका काम है। यह उसकी और ईश्वर की बात है। उन्हें स्वयं निर्णय करने दो,तुम मत पड़ो बीच में। कौन कह रहा है तुम्हें बीच में पड़ने को? जीसस कहते है, 'तुम आलोचना मत करो।' पतंजलि कहते है, 'तुम तटस्थ बने रहो।' एमिल कए संसार के सबसे बड़े सम्मोहनविदों में से एक था। उसने एक नियम खोजासम्मोहन का एक नियम। वह इसे कहता है उल्टे परिणाम का नियम। अगर तुम किसी चीज के बहुत ज्यादा विरुद्ध होते हो, तो तुम उससे प्रभावित हो जाओगे। जरा सड़क पर किसी नये आदमी को साइकिल चलाना सीखते हुए देखना। वह सड़क शायद साठ फीट चौड़ी होती हो लेकिन मील का पत्थर होता है सड़क के किनारे। भले ही तुम बहुत अच्छे साइकिल चलाने वाले हो और तुम पत्थर को अपना निशाना बना लेते हो। तुम सोचते हो कि मैं जाकर टकरा जाऊंगा पत्थर से। शायद कई बार तुम चूक जाओ लेकिन नया सीखने वाला नहीं चूकता। कभी नहीं। वह मील के पत्थर को चूकता नहीं। अनजाने तौर से, उसकी साइकिल पत्थर की ओर ही बढ़ती है। और वह सड़क होती है साठ फीट चौड़ी। तुम्हारी आंखों पर पट्टी भी बंधी हो तो तुम बढ सकते हो बिना पत्थर से टकराये। चाहे कोई भी न हो सड़क पर और वह संपूर्ण रूप से निर्जन हो, और कोई न चल-फिर रहा हो। क्या घटता है इस नौसिखिए को? एक नियम काम कर रहा होता है। एमिल कुए इसे कहता है, विपरीत परिणाम का नियम। अभी वह सीख रहा है इसलिए वह घबड़ाया हुआ है; इसलिए वह आस-पास देखता है यह देखने को कि कहां है खतरे का स्थल, वह स्थल, जहां वह भूल कर सकता है। सारी सड़क ठीक है, लेकिन यह पत्थर, कोने का यह लाल पत्थर-यही खतरनाक है। वह ऐसा सोचता है, 'शायद मै इससे टकरा जाऊं।' अब एक जोड्ने वाली बात निर्मित हो जाती है। अब उसका ध्यान पत्थर की ओर लगा है; सारी सड़क भूल जाती है। और वह एक नौसिखिया ही होता है। उसके हाथ कांपते रहते हैं, और वह देख रहा होता है पत्थर की ओर। धीरे- धीरे वह अनुभव करता है कि साइकिल अपने से चल रही है। साइकिल को तो तुम्हारे मन के ध्यान का अनुसरण करना है। साइकिल का अपना कोई संकल्प नहीं है। यह तुम्हारे पीछे आती है-जहां भी तुम जा रहे होते हो। तुम अपनी आंखों का

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