Book Title: Patanjali Yoga Sutra Part 01
Author(s): Osho
Publisher: Unknown

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Page 450
________________ इस अवस्था में होना बहुत ही कष्टदायक है। पहली बार वास्तविक व्यथा घटती है। इसलिए तो गुरु की जरूरत होती है;सद्गुरु की, जो तुम्हें वापस न लौटने दे, जो तुम्हें बाध्य कर दे आगे जाने को ही, क्योंकि एक बार तुम वापस मुड़ जाते हो तो फिर से तुम्हें उस जगह लाने में बहुत ज्यादा प्रयास की जरूरत पड़ेगी। हो सकता है उसे तुम बहुत जन्मों तक चूकते रहो क्योंकि अब समझने को भी कोई मन वहां नहीं है। सूफीवाद में यह भावदशा कहलाती है 'मस्त' की भावदशा-पागल की दशा। यह दशा वास्तव में ही कठिन होती है समझने के लिए क्योंकि व्यक्ति होता है और नहीं भी होता दोनों ही बातें होती हैं। वह एक साथ हंसता और रोता; वह खो देता है सारी निधारित स्थितियां। वह नहीं जानता रोना क्या होता है और हंसना क्या होता है। क्या कहीं कोई असंगति भी है? वह मारता है स्वयं को और आनंद मनाता है। वह उत्सव मनाता है, स्वयं को मारते हुए। वह नहीं जानता क्या कर रहा है वह, कि वह बात हानिकारक है या नहीं है। वह पूर्णतया आश्रित हो जाता है। वह एक छोटे बच्चे की भांति हो जाता है, उसका खयाल रखना पड़ता है। बिना सद्गुरु के यदि कोई ध्यान में उतरता है तो यही हो सकता है उसका परिणाम। सद्गुरु के साथ, सद्गुरु अवरोध बनकर तुम्हें रोकेगा। वह खड़ा होगा बिलकुल तुम्हारे पीछे ही और वह तुम्हें वापस नहीं जाने देगा। वह एक चट्टान बन जायेगा। और वापस लौटने का कोई रास्ता न पाकर, तुम्हें छलांग लगा ही देनी होगी। तुम्हारी जगह कोई दूसरा नहीं लगा सकता यह छलांग। उस क्षण तुम्हारे साथ कोई नहीं हो सकता। लेकिन एक बार यह छलांग तुम लगा जाते हो तो तुम सभी दवैत पार कर जाते हो। नकारात्मक और विधायक दोनों चले जाते हैं, और यही है संबोधि। मैं बात करता हूं विधायक की, ताकि तुम नकारात्मक को गिरा सको। एक बार तुम गिरा देते हो नकारात्मक को तो तुम फंदे में आ जाते हो। तब विधायक गिराना ही होता है। एक चरण दूसरे चरण की ओर इस ढंग से ले जाता है कि यदि तुम पहला चरण पा लेते हो तो दूसरा आ ही पहुंचेगा। यह एक श्रृंखला होती है। वस्तुत: पहला चरण ही पाना होता है। फिर सारी दूसरी बातें पीछे चली आती हैं। यदि तुम समझ जाओ, तो पहला ही होता है, अंतिम। आरंभ ही है समाप्ति; प्रथम ही है अंतिम। दूसरा प्रश्न: ऐसा आध्यात्मिक व्यक्ति जिसने कि उच्च जागरूकता की एक निश्चित मात्रा उपलब्ध कर ली होती है विशिष्ट मानसिक सिदधियां और योग्यता भी प्राप्त कर ली होती है; और एक संबोधि

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