Book Title: Patanjali Yoga Sutra Part 01
Author(s): Osho
Publisher: Unknown

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Page 458
________________ है, और कई बार वे कोशिश भी करते है पृथ्वी पर आने की। वे आ सकते हैं, और वे आते ही है। और ऊब से बचने के लिए ही वे कोशिश करते हैं मानव-प्राणियों के साथ मिलने-जुलने की। लेकिन अंतत: वे वापस आ गिरते हैं। यह ऐसा होता है जैसे कि आखिरकार तुम सपने से, सुंदर सपने से बाहर आ जाते हो, वह खत्म हो जाती है बात। हिंदुओं के अनुसार स्वर्ग एक सपना है-एक सुंदर सपना। नरक भी सपना है-एक दुःस्वप्र। लेकिन दोनों है सपने ही क्योंकि दोनों मन से ही संबंधित हैं। इस परिभाषा को खयाल में रखना-वह सब जो मन से संबंधित है, सपना ही है। विधायक, निषेधात्मक कुछ भी हो, मन सपना है। सपने के पार जाना, जाग जाना, बुद्ध हो जाना है। कठिन होता है बुद्ध पुरुष के विषय में कुछ भी कहना, क्योंकि उसे परिभाषित नहीं किया जा सकता। परिभाषा संभव होती अगर वहां कोई सीमा हो। वह अपार है आकाश जैसा; परिभाषा संभव नहीं है। संबोधि को उपलब्ध व्यक्ति को जानने का एकमात्र तरीका है, संबोधि को उपलब्ध व्यक्ति हो जाना। आध्यात्मिक व्यक्ति की व्याख्या की जा सकती है। उसकी अपनी सीमाएं है। वह है मन के भीतर ही, उसकी परिभाषा करने में कोई कठिनाई नहीं। जब हम विभूतिपाद तक आयेंगे-सिदधियों, शक्तियों के विषय में कहे गये पतंजलि के सूत्रों तक, तो हम जानेंगे कि वे पूर्णतया व्याख्यायित किये जा सकते हैं। और पश्चिम में वैज्ञानिक खोज चल रही है। जिसे कि वे कहते हैं साइकिक,परामनोवैज्ञानिक अनुसंधान। परामनोवैज्ञानिक संस्थाएं संसार भर में विद्यमान हैं। बहुत-से विश्वविद्यालयों में अब परामनोवैज्ञानिक अनुसंधान की प्रयोगशालाएं है। जो पतंजलि कहते है, वह कभी न कभी वैज्ञानिक रूप से वर्गीकृत हो ही जायेगा और सिद्ध हो जायेगा। एक तरह से यह अच्छा ही है। यह अच्छा है क्योंकि तब तुम जान पाओगे कि यह मन की ही बात होती है जिसका परीक्षण किया जा सकता है यांत्रिक साधनों द्वारा भी। जो कोटिबद्ध और प्रमाणित की जा सकती है। किसी यांत्रिक साधन द्वारा तुम्हें संबोधि की झलक नहीं मिल सकती। यह शरीर की या मन की घटना नहीं है। यह बहुत दुर्बोध है, बहुत रहस्यपूर्ण है। एक बात खयाल में ले लेना-कभी प्रयत्न मत करना किन्हीं आध्यात्मिक शक्तियों को पाने का। चाहे वे तम्हारे मार्ग पर स्वयं भी चली आयें तो जितनी जल्दी संभव हो गिरा देना उन्हें। उनके संग-साथ मत बढ़ना और उनकी चालबाजियों को मत सनना। आध्यात्मिक व्यक्ति तो कहेंगे, 'इसमें गलत क्या है? तुम दूसरों की मदद कर सकते हो; तुम एक महान उपकारक बन सकते हो।' वह मत बनना। यही कह देना, 'मैं शक्ति की खोज में नहीं हूं और कोई किसी की मदद नहीं कर सकता है।' तुम एक मनोरंजन भरा तमाशा बन सकते हो शक्ति के दवारा, लेकिन तुम किसी की मदद नहीं कर सकते।

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