Book Title: Patanjali Yoga Sutra Part 01
Author(s): Osho
Publisher: Unknown

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Page 454
________________ आध्यात्मिक शक्ति वाले व्यक्ति के लिए यह बात कभी सरल नहीं रही क्योंकि वह शक्ति ही बाधा बन जाती है। पतंजलि इस बारे में बहुत कुछ बतायेंगे। उनके पास संपूर्ण अध्याय है 'विभूतिपाद' – शक्ति के इस आयाम को समर्पित सूत्रों का। और उन्होंने यह सारा खंड लिया है तुम्हें खतरे से सावधान करने के लिए ही। क्योंकि अहंकार बहुत सूक्ष्म होता है। यह एक बड़ी सूक्ष्म घटना है और अत्यंत वंचक शक्ति है। और जहां कहीं शक्ति होती है यह उसे सोख लेती है। यह अहंकार एक सोखने की घटना है। इसलिए संसार में, अहंकार खोज लेता है राजनीति, सम्मान, शक्ति, धन-सम्पत्ति। तब यह किसी को भरता है। तब तुम किसी देश के राष्ट्रपति होते हो या प्रधानमंत्री। तब तुम कुछ होते हो या तुम्हारे पास लाखों रुपये होते है तो तुम कुछ होते हो। अहंकार मजबूत हो जाता है। खेल वही चलता रहता है क्योंकि विधायक तत्व इस संसार से बाहर नहीं है। विधायक संसार के ही भीतर है। यह निषेधात्मक तत्व से बेहतर है, लेकिन फिर खतरा भी ज्यादा है। एक व्यक्ति जो स्वयं को बहुत महान मानता है, इस कारण क्योंकि वह प्रधानमंत्री है या राष्ट्रपति है या कि बहुत धनवान है, तो यह भी जानता है कि वह यह धन-दौलत मृत्यु के पार नहीं ले जा सकता है। लेकिन वह व्यक्ति जो शक्तिशाली अनुभव करता है मानसिक शक्तियों के कारण अतींद्रिय संवेदनक्षमता,विचार पढ़ लेना, अतींद्रिय दर्शन, अतींद्रिय श्रवण, सूक्ष्म शरीर से यात्रा करना और दूसरों को स्वस्थ कर देने के कारण ज्यादा अहंकारी अनभव करता है। वह जानता है कि ये शक्तियां मृत्य के पार ले जा सकता है। और हां, वे ले जायी जा सकती हैं,क्योंकि यह मन ही होता है जो पुनजगवत होता है, और ये शक्तियां मन से ही संबंधित होती है। धन संबंध रखता है शरीर से, मन से नहीं। तुम इसे अपने साथ नहीं बनाये रख सकते। राजनैतिक शक्ति शरीर से संबंधित होती है। जब तुम मर जाते हो, तब तुम कुछ नहीं रहते। लेकिन ये शक्तियां, ये आध्यात्मिक शक्तियां, मन से संबंध रखती हैं, और मन एक शरीर से दूसरे शरीर में प्रवेश करता है। यह वहन किया जाता है। अगले जन्म 3 प्रारंभ से ही चमत्कारी बच्चे के रूप में पैदा होओगे। एक करिश्मा! तुम्हारे पास होगी एक चुंबकीय शक्ति। इसलिए ज्यादा आकर्षण होता है,और ज्यादा खतरा भी। ध्यान रहे, आध्यात्मिक होने का प्रयास मत करना। आध्यात्मिक है भौतिक के विपरीत; जैसे कि नकारात्मक होता है विधायक के विपरीत। वस्तुत: वे विपरीत हैं नहीं। दोनों की गुणवत्ता एक ही होती है। एक श्रेष्ठ और सूक्ष्म है; दूसरा स्थूल और निम्न है। लेकिन दोनों हैं एक ही। आध्यात्मिक शक्तियों द्वारा धोखे में मत आना। और जब कभी आध्यात्मिक शक्तियां तुममें उदित होने लगती हैं, तो तुम्हें हमेशा से ज्यादा सचेत हो जाना पड़ता है। और वे उदित होंगी। जितना ज्यादा तुम ध्यान करते हो, उतना ज्यादा मन सूक्ष्म हो जायेगा। और जब मन सूक्ष्म हो जाता है, तो जो बीज तुम

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