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तुम उस बिंदु तक पहुंच रहे हो जहां तुम मानोगे कि इस संसार में अच्छाई असंभव है। तब तुम निशित अनुभव करोगे। तब तुम अपने दुष्ट तरीकों द्वारा आसानी से चलोगे।
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क्योंकि 'कोई नहीं है भला और नेक हर कोई मेरी भांति ही है, मुझसे भी बदतर। इसीलिए इतनी ज्यादा निंदा चलती रहती है-आलोचना और निंदा।
यदि कोई कह देता है, 'वह फलां व्यक्ति बहुत सुंदर है, तो तुरंत तुम कुछ खोज लेते हो आलोचना करने को इसे तुम बरदाश्त नहीं कर सकते। क्योंकि अगर कोई गुणवान है और तुम गुणवान नहीं हो, तो तुम्हारा अहंकार चकनाचूर हो जाता है तब तुम्हें लगने लगता है, 'मुझे अपने को बदलना है और यह तो एक कठिन प्रयास है।' आसान बात यही होती है कि निंदा करो, आसान यही होता है कि आलोचना करो। आसान बात यही है कि कहो, 'नहीं। सिद्ध करो इसे । क्या कह रहे हो तुम? पहले सिद्ध करो कि वह कैसे पुण्यवान है। और पुण्य को सिद्ध करना कठिन होता है, और किसी चीज की निंदा कर उसे अस्वीकार करना बहुत आसान होता है। सिद्ध करना बहुत कठिन है।
महान रूसी कथा लेखकों में से एक है तुर्गनेव। उसने एक कहानी लिखी है। कहानी है कि एक छोटे गांव में एक व्यक्ति को मूर्ख समझा जाता था, और वह था मूर्ख । सारा शहर उस पर हंसता था। उसे समझा जाता था मात्र एक मूढ़, और शहर का प्रत्येक व्यक्ति उसकी मूर्खता का मजा लेता । पर वह अपनी मूर्खता से थक गया था, इसलिए उसने एक विद्वान व्यक्ति से पूछा, 'क्या करूं मै ?'
वह बुद्धिमान व्यक्ति बोला कुछ नहीं बस यही करो कि चाहे कोई किसी की प्रशंसा कर रहा हो, तुम उसकी निंदा करो। यदि कोई कह रहा हो।' वह पुरुष तो संत है, तो कह देना तुरंत, 'नहीं। मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि वह एक पापी है।' यदि कोई कहे, 'यह पुस्तक बड़ी महान है। ' तुरंत कह दो, मैंने पढ़ा है इसे और अध्ययन किया है इसका इसकी चिंता में मत पड़ना कि तुमने इसे पढ़ा है या नहीं मात्र कह देना रही है यह।' यदि कोई कह रहा हो, 'यह पेंटिंग कला की
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उत्कृष्ट रचनाओं में से एक है, तो एकदम कह देना, 'लेकिन कैसी है यह मात्र कैनवास और रंग! एक बच्चा बना सकता है इसे।' आलोचना करो, नकारों, प्रमाण मांगो और सात दिन बाद मेरे पास आना ।
सात दिनों के भीतर शहर ने अनुभव करना शुरू कर दिया कि यह आदमी तो बड़ा प्रतिभावान था। वे कहने लगे, 'हम कभी न जानते थे उसकी प्रतिभाओं के बारे में। और हर चीज की इतनी प्रतिभा उसमें है। तुम उसे कोई पेंटिंग दिखाओ और वह दिखा देता है उसके अवगुण। तुम उसे कोई बड़ी किताब दिखाओ और वह बता देता है गलतियां। उसके पास इतना महान विवेचनात्मक मन है। एक विश्लेषक है। एक महान प्रतिभावान ।' सातवें ?? वह उस बुद्धिमान व्यक्ति के पास आया और वह कहने लगा,' अब तुमसे सलाह लेने की कोई जरूरत न रही। तुम नासमझ हो ।' सारा शहर उस