________________ प्रत्येक अर्थवता कामभाव के द्वारा आती है। सारा मन कामवासना से मस्त है। क्यों? क्यों ऐसा कभी घटित नहीं हुआ पहले? मनुष्य के इतिहास में यह कुछ नया है। और कारण यह है कि अब पश्चिम विचार के साथ इतनी बुरी तरह से उलझ गया है कि कामवासना के सिवाय यहीं और अभी होने की और कोई संभावना नहीं है। कामवासना एकमात्र संभावना बनी हुई है,और वह भी लुप्त हुई जा रही है। आधुनिक व्यक्ति के लिए यह भी संभव हो गया है कि जब वह संभोग कर रहा हो तो वह दूसरी चीजों के बारे में सोच सकता है। और चूंकि तुम इसके योग्य हो गये हो कि जब संभोग कर रहे हो, तब तुम किसी दूसरी चीज के बारे में सोचते जाते हो-जैसे कि बैंक के तुम्हारे खाते के बारे में या तुम मित्र से बातें किये चले जाते हो, या तुम किसी दूसरी जगह बने रहते हो जबकि संभोग यहां कर रहे होते हो, तो काम-भावना भी खतम हो जायेगी। तब वह केवल एक ऊब और खीज का कारण होगी,क्योंकि स्वयं कामवासना की बात न थी। बात केवल यही थी-कि काम ऊर्जा इतनी तेजी से प्रवाहित हो रही थी, कि तुम्हारा मन एकदम ठहर गया। काम ने उस पर अधिकार कर लिया। काम ऊर्जा इतनी तेजी से बहती है, इतनी सक्रियता से, कि तुम्हारे सोचने के साधारण ढांचे ठहर जाते हैं। मैंने सुना है कि एक बार ऐसा हुआ कि मुल्ला नसरुद्दीन एक जंगल में से गुजर रहा था। उसे एक खोपड़ी मिल गयी। जैसा कि वह हमेशा कुतूहल से भरा रहता था, उसने खोपड़ी से पूछा,' आपको यहां कौन पहुंचा गया श्रीमान?' वह चकरा गया,क्योंकि खोपड़ी ने उत्तर दिया, 'बोलना मुझे यहां ले आगा श्रीमान।' मुल्ला इस पर विश्वास नहीं कर सकता था, लेकिन उसने इसे सुन लिया था इसलिए वह राजमहल तक दौड़ा गया। उसने वहां कहा कि 'मैंने एक चमत्कार देखा है! एक खोपड़ी, एक बोलने वाली खोपड़ी बिलकुल हमारे गांव के नजदीक जंगल में पड़ी है।' राजा भी इस पर विश्वास नही कर सकता था, लेकिन वह जिज्ञास हो गया था। जब वे जंगल में गये तो सारी राजसभा उनके पीछे चल दी। नसरुददीन खोपड़ी के निकट गया और उसने फिर वही प्रश्न पूछा- 'तुम्हें यहां कौन लाया श्रीमान?' लेकिन खोपड़ी खामोश रही। उसने दोबारा और तीसरी बार और बार-बार पूछा, लेकिन खोपड़ी मृत, निःशब्द बनी रही।' राजा बोला, 'मैं यह पहले से जानता था, नसरुद्दीन, कि तुम झूठे हो। लेकिन यह अब बहुत हुआ। तुमने मजाक कर खिलवाड़ किया है और तुम्हें इसके लिए प्राण-दंड भुगतना होगा।' उसने अपने सैनिकों को मुल्ला का सिर काटने और सिर को,खोपड़ी के निकट फेंकने का आदेश दिया जहां चीटियां उसे खा जायें। जब हर कोई चला गया-राजा, उसका दरबार-तब खोपडी ने फिर बोलना शुरू कर दिया। उसने पूछा, 'आपको यहां कौन लाया, जनाब?' नसरुद्दीन ने जवाब दिया, 'बोलना मुझे यहां लाया जनाब!'