Book Title: Patanjali Yoga Sutra Part 01
Author(s): Osho
Publisher: Unknown

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Page 412
________________ मनुष्यता के पूरे इतिहास में रामकृष्ण ने महानतम प्रयोगों में से एक प्रयोग करने का प्रयत्न किया। उनके संबोधि प्राप्त करने के पश्चात, उनकी संबोधि के पश्चात, उन्होंने बहुत सारे मार्गों को आजमाया। किसी ने कभी ऐसा नहीं किया क्योंकि कोई जरूरत नहीं है। यदि तुमने शिखर पा लिया है, तो क्यों फिक्र लेनी कि दूसरे मार्ग उस तक पहुंचते हैं या नहीं? किंतु रामकृष्ण ने मानवता पर बडा उपकार किया। वे फिर से आधारतल तक नीचे लौट आये और दूसरे मार्गों को आजमाया, देखने को कि वे भी शिखर तक पहुंचते हैं या नहीं। उन्होंने बहुतों को आजमाया, और हर बार वे उसी शिखर बिंदु तक पहुंचे। यह उन्हीं की उपमा है-कि आधारतल पर मार्ग अलग होते हैं। वे विभिन्न दिशाओं की ओर बढ़ते हैं और विपरीत भी लगते हैं, परस्पर विरोधी भी, लेकिन शिखर पर वे मिल जाते हैं। संश्लेषण घटता है शिखर पर। प्रारंभ में विविधताएं होती हैं,बहलताएं होती है; अंत में होता है एकत्व, ऐक्य। संश्लेषण की परवाह मत करना। तुम सिर्फ तुम्हारा मार्ग चुन लेना और उस पर बने रहना। और दूसरों द्वारा प्रलोभित मत होओ, जो अपने मार्गों पर तुम्हें बुला रहे होंगे इस कारण, कि वह लक्ष्य तक ले जाता है। हिंदू पहुंचे हैं, मुसलमान पहुंचे हैं,यहूदी पहुंचे हैं, ईसाई पहुंचे हैं। और परम सत्य की कोई शर्त नहीं है जो कहे कि यदि तुम केवल हिंदू हो तो ही पहुंचोगे। केवल एक बात जो चिंता करने की है वह यह कि तुम्हारे प्रकार को, ढांचे को पहचानना और चुनाव करना। मैं किसी बात के विरुद्ध नहीं हूं; मैं हर बात के पक्ष में हूं। जो कुछ भी तुम चुनो, मैं उसी ढंग से तुम्हारी मदद कर सकता है। लेकिन कोई संश्लेषण नहीं चाहिए। संश्लेषण के लिए प्रयत्न मत करना। आठवां प्रश्न: कई बार जब आप हमसे बातें करते है, तब ऊर्जा की लहरें हम तक उमड़ कर आती है और हमारा हृदय खोल देती है। और कृतज्ञता के आंसू ले आती है। आपने कहा है कि आप हमें भर देते है जब हम खुले हों। और कई बार यह शक्ति पात सदृश्य घटना एक ही समय बहुत लोगों को घटती है। आप हमें यक अदभुत अनुभव अधिक बार क्यों नहीं देते?

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