Book Title: Patanjali Yoga Sutra Part 01
Author(s): Osho
Publisher: Unknown

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Page 423
________________ खलील जिब्रान ने एक छोटी-सी कथा लिखी है। एक शहर में, एक बड़े शहर में, एक कुत्ता था जो उपदेशक और मिशनरी था और वह दूसरे कुत्तों को उपदेश दिया करता था, भौंकना बंद करो। हमारी करीब निन्यानबे प्रतिशत ऊर्जा हम अनावश्यक रूप से गंवा देते हैं भौकने में। इसलिए हम विकसित नहीं हो रहे। बेकार भौंकना बंद करो। ' लेकिन यह भौंकना बंद करना कठिन है कुत्तों के लिए। यह एक स्वनिर्मित प्रक्रिया है। वस्तुत: वे केवल तभी सुखी अनुभव करते है जब वे भौंकते है, जब वे भौंक चुके होते है। फिर भी उन्होंने सनी नेता की, उस क्रांतिकारी की, स्वप्नद्रष्टा की जो देवताओं के राज्य के बारे में सोच रहा था, या कुत्तों के राज्य के बारे में जो कहीं आने वाला है किसी भविष्य में, जहां हर कुत्ता सुधर चुका होगा और धार्मिक बन गया होगा; जहां कहीं कोई भौंकना इत्यादि न होगा, न कोई लड़ाई होगी, और हर चीज शांत होगी। वह मिशनरी जरूर कोई शांतिवादी रहा होगा! लेकिन कुते कुते ही हैं। उन्होंने सुनी उसकी और वे बोले, 'तुम एक महान जीव हो, और जो कुछ तुम कहते हो सच है। लॊकेन हम निस्सहाय है। क्षुद्र कुत्ते! हम इतनी बड़ी बातें नहीं समझते। 'तो सारे कुत्तों ने स्वयं को अपराधी अनुभव किया क्योंकि वे भौकना बंद नहीं कर सकते थे। और वे नेता के संदेश में विश्वास रखते थे। और वह सही था, तर्कसंगत था, वे अनुसरण कर सकते थे। लेकिन शरीरों का क्या करें? शरीर अतर्व्य है। जब कभी कोई अवसर होता कोई संन्यासी पास से जा रहा होता, कोई पुलिस का आदमी, कोई डाकिया, तो वे भौंकते, क्योंकि वे वर्दियों के विरुद्ध होते यह उनके लिए लगभग असंभव था। और उन्होंने यह बात तय कर ली थी कि वह कुत्ता एक महान प्राणी है पर फिर भी हम उसके पीछे नहीं चल सकते। वह अवतार की भांति है। दूसरे किनारे का कोई जीव! इसलिए हम उसे पूजेंगे, पर हम अनुसरण कैसे कर सकते है उसका? और वह नेता अपने वचनों के प्रति सदा सच्चा रहता था। वह कभी नहीं भौंका। लेकिन एक दिन पांसा पलट गया। एक रात, एक अंधेरी रात कुत्तों ने निर्णय लिया कि 'यह महान नेता हमेशा हमें बदलने की कोशिश में रहा है, और हमने इसकी कभी नहीं सुनी। वर्ष में कम से कम एक बार नेता के जन्म दिवस पर हमें पूर्ण उपवास रखना चाहिए और कोई भौकना वगैरह नहीं होगा-परम मौन चाहे कितना ही कठिन क्यों न लगे। कम से कम वर्ष में एक बार हम ऐसा कर ही सकते है।' उन्होंने कर लिया निश्चय। और उस रात एक भी कुत्ता नहीं भौंका। वह नेता देखने को जाता रहा, इस कोने से उस कोने तक, इस गली से उस गली तक, क्योंकि जहां कुत्ते भौंकते हों, वह उपदेश देगा। वह बहुत दुखी अनुभव करने लगा क्योंकि कोई नहीं भौंक रहा था। सारी रात वे पूरी तरह चुप थे, जैसे कि कोई कुत्ता रहा ही न हो। वह बहुत स्थानों पर गया, देखता रहा। और आधी रात होने पर बात उसके लिए इतनी कठिन हो गयी, वह एक अंधेरे कोने में सरक गया और भौंकने लगा।

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