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6- आपके सान्निध्य में ऊर्जा की लहरों का संप्रेषण और हृदय द्वार के खुलने का अनुभव - यह कैसे घटता है? और इसे बारंबार कैसे घटने दिया जाये ?
पहला प्रश्न:
यह मार्ग तो जान पड़ता है शांति और जागरूकता की ओर जाता हुआ। लेकिन आपके आसपास का हर व्यक्ति और हर चीज इतनी अव्यवस्थित है? अव्यवस्था में क्यों है?
क्या कि मैं एक अव्यवस्था है। और केवल अव्यवस्था से ही सुव्यवस्था जन्म लेती
हैं; और कोई मार्ग नहीं है? तुम पुराने बहुत पुराने, प्राचीन भवनों की भांति हो, तुम्हे नया नहीं किया जा सकता। लाखों जन्मों से तुम यही हो। पहले तो तुम्हे पूर्णतया मिटा देना होता है, और केवल तभी तुम पुनर्निर्मित हो सकते हो।
जीर्णोद्धार संभव है, लेकिन वह बहुत समय तक काम न देगा। वह केवल सतह को सज़ाना भर ही होगा। तुम्हारी गहन बुनियादी तहों में तुम पुराने ही बने रहोगे, और सारा ढांचा सदा अस्थिर ही बना रहेगा। वह किसी भी दिन गिर सकता है नयी बुनियादों की जरूरत होती है। हर चीज नयी ही होनी चाहिए। तुम्हें सपूर्णतया पुन र्जन्म लेना होता है; अन्यथा यह एक बाह्य रूप बदलना ही होगा। तुम बाहर से रंग दिये जा सकते हो, लेकिन भीतर को रंगने का कोई उपाय नही । भीतर वैसा ही रहेगा वही पुरानी सड़ी हुई चीज ।
एक गैर-सातत्य की आवश्यकता होती है। तुम्हारे सातत्य को बना नहीं रहने दिया जाना चाहिए। एक अंतराल की आवश्यकता है। पुराना तो बस मर जाता है। और उसमें से उस मृत्यु में से बाहर आता है नया। और एक अंतराल होता है नये और पुराने के बीच, अन्यथा पुराना निरंतर बना रह सकता है। सारे परिवर्तन वस्तुत पुराने को बचाने के लिए ही होते है, और मैं कोई रूपांतरकार नहीं हू और तुम्हारे लिए अव्यवस्था ही बनी रहेगी अगर तुम प्रतिरोध करते हो तो तब यह लंबा समय लेती है।
यदि तुम इसे घटित होने दो, तो बात एक क्षण में भी घट सकती है। यदि तुम इसे घटने दो, तो पुराना मिट जाता है और नयी स्व-सता आ जाती है अस्तित्व में वह नया अस्तित्व ईश्वरीय होगा क्योंकि वह अतीत में से नही आया होगा; वह समय काल में से नहीं आया होगा। वह समय
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