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बिलकुल अभी यह देख पाना कठिन है कि क्या घट रहा है क्योंकि यह बहुत ही छोटी धारा है, बच्चे की भांति ही। लोग चूक गये ऋषभ के साथ, उन प्रथम जैन तीर्थंकर के साथ, लेकिन वे पहचान सकते थे महावीर को समझे न? पहले के ऋषभ के प्रति जैनों के मन में कोई बहुत श्रद्धा नहीं है। वस्तुतः वे अपनी सारी श्रद्धांजलि देते हैं महावीर को तथ्य यह है कि पश्चिमी मन के अनुसार, महावीर प्रवर्तक हैं जैन धर्म के क्योंकि भारत में महावीर पर इतनी श्रद्धा रखी जाती है, तो कैसे दूसरे अनुभव कर सकते हैं कि कोई और है प्रवर्तक? ऋषभ विस्मृत हो गये हैं, कोई दंतकथा हो गये हैं, भुलाये जा चुके हैं। शायद ये हुए हो, शायद न हुए हों। वे ऐतिहासिक नहीं प्रतीत होते वे धुंधले अतीत के हैं, और तुम उनके बारे में ज्यादा कुछ जानते नहीं। महावीर ऐतिहासिक हैं और वे हैं गंगा की भांति, बनारस के निकट की गंगा जो बहुत विस्तृत होती है।
ध्यान रहे कि प्रारंभ छोटा होता है, लेकिन फिर कभी रहस्य इतना गहन न होगा जितना कि शुरू में होता है। प्रारंभ जीवन है और अंत में मृत्यु। महावीर के साथ जैन परंपरा में मृत्यु प्रविष्ट हो जाती है। ऋषभ के साथ जीवन प्रविष्ट होता है, ऊंचे हिमालय से उतर आता है पृथ्वी तक ।
मेरे पास कोई नहीं जिसके प्रति में उत्तरदायी बनूं कोई नहीं है जिससे कि निर्देश पाऊं, लेकिन बहुत मदद उपलब्ध है और यदि इसे तुम इसकी समग्रता में लेते हो, तब यह उससे कहीं बहुत ज्यादा है जो कि कोई एक गुरु बता सकता है। जब मैं पतंजलि के विषय में बोल रहा होता हूं तो पतंजलि सहायक होते हैं। मैं ठीक उसी तरह बोल सकता हूं जैसे कि वे यहां बोल रहे होते। वस्तुतः मैं नहीं बोल रहा हूं; ये कोई व्याख्याएं नहीं हैं यह तो वे स्वयं मेरा उपयोग माध्यम की भांति कर रहे हैं। जब मैं हेराक्लतु के विषय में बोल रहा होता हूं वे होते हैं वहां, लेकिन सिर्फ एक मदद के रूप में। यह बात तुम्हें समझ लेनी है, और तुम्हें अधिक संवेदित हो जाना है ताकि प्रारंभ को देख-समझ सको।
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जब कोई परंपरा बहुत बड़ी शक्ति बन जाती है तो उसमें बढ़ना कोई ज्यादा सूक्ष्म दृष्टि और संवेदनशीलता की मांग नहीं करता है। उस समय आना कठिन है जब चीजें प्रारंभ हो रही हो, एकदम प्रभातकालीन हो। सांझ होने तक बहुत आ जाते हैं। लेकिन तब वे आते हैं क्योंकि चीज बहुत बड़ी और शक्तिशाली बन चुकी होती है। सुबह में केवल थोड़े से चुनिंदा लोग आ जाते हैं जिनके पास यह अनुभव करने की संवेदना होती है कि कोई महान चीज उत्पन्न हो रही है। तुम बिलकुल अभी इसे प्रमाणित नहीं कर सकते समय प्रमाणित करेगा इसे क्या-क्या जनम ले रहा था इसे प्रमाणित होने में हजारों साल लगेंगे, लेकिन यहां होने में तुम सौभाग्यशाली हो। और अवसर को, सुयोग को खोना मत। क्योंकि यह एक सबसे ज्यादा ताजी बात है और सर्वाधिक रहस्यमय ।
यदि तुम इसे अनुभव कर सको, यदि तुम इसे अपने में गहरे उतरने दो, तो बहुत सारी चीजें संभव हो जायेंगी बहुत थोड़े समय में ही यह अभी प्रतिष्ठा की बात नहीं है मेरे साथ होना, यह कोई प्रतिष्ठापूर्ण नहीं है। वस्तुतः केवल जुआरी मेरे साथ हो सकते हैं जो परवाह नहीं करते और इसकी