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दुख उठा सकती है। और फिर एक दिन यह बच्चा उसे छोड़ जाता है और दूसरी सी के पास चला जाता है, और वह व्यथित होती है।
यह एक इतना लंबा दुख है, कि एक सी के लिए आवश्यक हो जाता है कि वह पुरुष की अपेक्षा अधिक नींद में हो। अन्यथा कोई कैसे इतनी लंबी पीड़ा झेल सकता है? और वह सदा आशा रखती है। फिर दूसरे बच्चे को लेकर आशा करती है,और फिर तीसरे बच्चे को लेकर, और उसका सारा जीवन व्यर्थ हो जाता है।
इसलिए बदध ने कहा, 'मैं जानता हं तुम क्या सोच रही हो। और मैं जानता हं तुम मुझसे ज्यादा बड़ी स्वप्नद्रष्टा हो। लेकिन अब मैं आया हूं तुम्हारी निद्रा की तमाम जड़ों को काट देने के लिए। बच्चे को ले आओ। कहां है मेरा बेटा? ले आओ उसे।' स्त्री-मन फिर एक चाल चल गया। वह राहल को ले आयी, वह बच्चा जो अब बारह वर्ष का हो गया था, और वह कहने लगी, 'ये हैं तुम्हारे पिता। इनकी ओर देखो, ये भिखारी हो गये हैं! पूछो इनसे, क्या है इनका दाय? क्या दे सकते हैं ये तुम्हें? ये तुम्हारे पिता हैं। कायर हैं, चोर की भांति चले गये थे मुझसे कुछ कहे बिना ही। और वह एक दिन के शिशु को छोड़ चले गये थे। उनसे पूछो, देने को क्या है उनकी संपत्ति?'
बुद्ध हंस पड़े और वह आनंद से बोले, 'मेरा भिक्षा पात्र लाओ।' उन्होंने भिक्षा पात्र राहल को दे दिया, और वह बोले, 'यह है मेरी कुल संपत्ति। मैं तुम्हें भिक्षु बनाता हूं। तुम दीक्षित हुए। तुम अब एक संन्यासी हो।' और उन्होंने अपनी पत्नी से कहा, 'मैंने जड़ ही काट दी हैं। अब सपने देखने की कोई जरूरत न रही। तुम भी जाग्रत हो जाओ क्योंकि यही है जड़। राहुल संन्यासी हो ही गया है, इसलिए तुम भी जाग जाओ। यशोधरा, तुम भ?ई जाग जाओ और संन्यासी हो जाओ।'
ऐसा समय सदा आता है जब तुम उस संक्रमण काल में होते हो जहां से निद्रा जागरण में परिवर्तित होती है। सारा अतीत तुम्हें रोकेगा। और अतीत शक्तिशाली होता है। भविष्य निर्बल होता है निद्रागत व्यक्ति के लिए। वह आदमी जो सोया हआ नहीं है उसके लिए भविष्य शक्तिशाली होता ; उस आदमी के लिए जो गहरी निद्रा में है, अतीत शक्तिशाली होता है। जो आदमी गहरी नींद सोया है, उसकी पहचान केवल उन सपनों से है जो उसने अतीत में देखे थे। वह किसी भविष्य के प्रति जागरूक नहीं है। यदि वह भविष्य के बारे में सोचता भी है, तो वह सिर्फ अतीत का ही प्रतिबिंब होता है। अतीत ही फिर से प्रक्षेपित हो जाता है। जो व्यक्ति जागरूक है केवल वही भविष्य के प्रति जागरूक होता है। तब अतीत कुछ नहीं रहता।
इसे जरा खयाल में ले लेना। तुम शायद बिलकुल अभी न समझ पाओ लेकिन किसी दिन तुम समझ सकते हो। सोये हुए आदमी के लिए, कारण अधिक शक्तिशाली होता है परिणाम की अपेक्षा; फूल की अपेक्षा बीज अधिक शक्तिशाली होता है। जो व्यक्ति जागा हुआ है उसके लिए, कार्य अधिक शक्तिशाली होता है कारण से, फल अधिक शक्तिवान होता है बीज से।