________________ असंप्रज्ञात समाधि में सारी मानसिक क्रिया की समाप्ति होती है और मन केवल अप्रकट संस्कारों को धारण किये रहता है। भवप्रत्ययो विदेहप्रकृतिलयानाम्।। 11 / / विदेहियो और प्रकृतिलयों को असंप्रज्ञात समाधि उपलब्ध होती है क्योंकि अपने पिछले जम्प में उन्होंने अपने शरीरों के साथ तादात्थ बनाना समाप्त कर दिया था। वे फिर जन्म लेते हैं क्योंकि इच्छा के बीज बने रहते हैं। श्रद्धावीर्यस्मृतिसमाधिपूर्वकइतरेषाम्।। 20 / / दूसरे जो असंप्रज्ञात समाधि को उपलब्ध होते हैंवे श्रद्धा, वीर्य (प्रयत्न), स्मृति, समाधि (एकापता) और प्रज्ञा (विवेक) के दवारा उपलब्ध होते हैं। पतंजलि सबसे बड़े वैज्ञानिक हैं अंतर्जगत के। उनकी पहुंच एक वैज्ञानिक मन की है। वे कोई कवि नहीं है। और इस ढंग से वे बहुत बिरले हैं। क्योंकि जो लोग अंतर्जगत में प्रवेश करते हैं, प्राय: सदा कवि ही होते हैं। जो बहिर्जगत में प्रवेश करते हैं,अक्सर हमेशा वैज्ञानिक होते हैं। पतंजलि एक दुर्लभ पुष्प हैं। उनके पास वैज्ञानिक मस्तिष्क है, लेकिन उनकी यात्रा भीतरी है। इसीलिए वे पहले और अंतिम वचन बन गये। वे ही आरंभ हैं और वे ही अंत हैं। पांच हजार वर्षों में कोई उनसे ज्यादा उन्नत नहीं हो सका। लगता है कि उनसे ज्यादा उन्नत हुआ ही नहीं जा सकता। वे अंतिम वचन ही रहेंगे। क्योंकि यह जोड़ ही असंभव है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखना और आंतरिक जगत में प्रवेश करना करीब-करीब असंभव संभावना है। वे एक गणितज्ञ, एक तर्कशास्री की भांति बात करते हैं। वे अरस्तु की भांति बात करते हैं और वे हैं हेराक्लत् जैसे रहस्पदर्शी। उनके एक-एक शब्द को समझने की कोशिश करो। यह कठिन होगा। यह कठिन होगा क्योंकि उनकी शब्दावली तर्क की,विवेचन की है, पर उनका संकेत प्रेम की ओर, मस्ती की ओर, परमात्मा की ओर है। उनकी शब्दावली उस व्यक्ति की है जो वैज्ञानिक प्रयोगशाला में काम करता है, लेकिन उनकी प्रयोगशाला आंतरिक अस्तित्व की है। अत: उनकी शब्दावली दवारा भ्रमित न