________________
सबसे पुराने योग सूत्रों में से एक सूत्र है; हर क्षण अतीत के प्रति मरो ताकि तुम हर क्षण पुन जीवत हो सको। अतीत के हर क्षण को जाने दो उस सारी धूल को फेंको जो तुमने इकट्ठी कर ली है, और फिर नये सिरे से देखो। लेकिन ऐसा निरंतर करना पड़ता है, क्योंकि अगले ही क्षण धूल फिर इकट्ठी हो चुकी होगी।
नान-इन जब एक खोजी था तो किसी झेन गुरु की खोज में था। फिर वह बहुत वर्षों तक अपने गुरु के साथ रहा, और एक दिन गुरु ने कहा, 'हर चीज ठीक है। तुमने लगभग प्राप्त कर लिया है।' लेकिन गुरु ने कहा था 'लगभग! इसलिए नान-इन ने पूछा, 'आपका मतलब क्या है?, गुरु ने कहा, 'मुझे, तुम्हें कुछ दिनों के लिए दूसरे गुरु के पास भेजना होगा। यह बात अंतिम परिष्कृति का संएकर्श दे देगी।
नान-इन बहुत जोश में था। वह बोला, 'मुझे फौरन भेजिए।' एक चिट्ठी उसे दे दी गयी, और वह बहुत उत्तेजित था क्योंकि उसने सोचा, उसको ऐसे व्यक्ति के पास भेजा जा रहा था जो उसके अपने गुरु से अधिक महान था। जब वह पहुंचा,उसने पाया कि वह आदमी कुछ खास नहीं था-बस, सराय का रक्षक, द्वारपाल।
नान-इन ने बहुत निराशा महसूस की और उसने सोचा, 'यह किसी किस्म का मजाक होगा। यह आदमी मेरा अंतिम गुरु होने जा रहा है? यह मुझे समापन-संएकर्श देने वाला है?' लेकिन नानइन आ ही गया था, इसलिए उसने सोचा, कुछ दिनों के लिए यहीं रहना बेहतर है, कम से कम विश्राम के लिए ही। फिर मैं वापस जाऊंगा। यह बहुत लंबी यात्रा थी। इसलिए उसने सराय के रखवाले से कहा, 'मेरे गुरु ने यह चिट्ठी भेजी है।
सराय का रखवाला बोला, 'लेकिन मैं पढ़ नहीं सकता, इसलिए तुम अपनी चिट्ठी रखो। इसकी जरूरत नहीं। और चाहे जो भी है तुम यहां ठहर तो सकते ही हो। ऐ? नान-इन ने कहा, 'लेकिन मुझे भेजा गया है तुमसे कुछ सीखने को।'
भठियारे ने उत्तर दिया, 'मैं केवल सराय का रक्षक हूं मैं गुरु नहीं है मैं कोई शिक्षक नहीं हूं? जरूर कोई गलतफहमी हुई है। तुम शायद गलत आदमी के पास चले आये हो। मैं केवल एक भठियारा हूं। मैं सिखा नहीं सकता; मैं कुछ जानता नहीं हूं। लेकिन चूंइक तुम आ ही गये हो, तुम मुझे ध्यान से देख तो सकते हो। शायद यह सहायक हो। बस, विश्राम करो और देखो। ??
लेकिन ध्यान से देखने को कुछ था नहीं वहां। सुबह वह सराय का दरवाजा खोलता। फिर अतिथि आते और वह उनकी चीजें साफ कर देता–पात्र, और हर चीज, और वह काम करता। और रात को जब सब लोग जा चुके होते थे और अतिथि अपने बिस्तरों पर सोने के लिए चले गये होते, तब वह फिर चीजों को साफ करता-पात्र, बरतन, हर चीज। फिर सुबह को फिर सब वही।