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'आगम' का अर्थ है उनके शब्द, जो जान चुके है। बुद्ध कुछ कहते हैं या जीसस कुछ कहते हैं, हम वास्तव में नहीं जानते कि वे क्या कह रहे हैं। हमने उसे अनुभव नहीं किया है, इसलिए उसके बारे में निर्णय करने का हमारे पास कोई उपाय नहीं है। हम नहीं जानते उनके शब्दों द्वारा ठीक से क्या अनुमान करें और कैसे अनुमान करें और शब्द परएकर विरोधी होते हैं, इसलिए तुम जो चाहो उससे अनुमान लगा सकते हो।
इसीलिए कुछ ऐसे है जो सोचते हैं कि जीसस न्यूरोटिक थे। पश्चिम के मनोवैज्ञानिक सिद्ध करने की कोशिश करते रहे हैं कि वे न्यूरोटिक थे, कि वे सनकी थे। जीसस ने दावा किया, 'मैं ईश्वर का बेटा हूं और मैं एकमात्र बेटा हूं।' तो वे एक अहंवादी पगले, न्यूरोटिक थे क्योंकि बहुत से न्यूरोटिक लोग हैं जो ऐसी बातों का दावा करते हैं। तुम इसे मालूम कर सकते हो। पागलखाने में ऐसे बहुत से लोग होते है।
एक बार बगदाद में ऐसा हुआ, जब खलीफा उमर राजा था तब एक आदमी ने बगदाद की गलियों में ऐलान किया था कि मैं पैगम्बर हूं मैं संदेशवाहक हूं मैं प्रफिट हूँ। अब मोहम्मद रह कर दिये गये हैं, क्योंकि मैं यहां हूं। मैं अंतिम वचन हूं अंतिम संदेश हूं ईश्वर का । अब मोहम्मद की कोई जरूरत नहीं। वे बिलकुल पुराने पड़ गये हैं। अब तक वे दूत थे, लेकिन अब मैं आ गया हूं इसलिए तुम मोहम्मद को भूल सकते हो।
यह कोई हिंदू देश नहीं था। हिंदू हर चीज सहन कर सकते है म् किसी ने हिंदुओं की तरह सहन नहीं किया है। वे सब कुछ बरदाश्त कर सकते हैं क्योंकि वे कहते हैं, जब तक हम ठीक-ठीक न जान लें, हम हां नहीं कह सकते और हम ना नहीं कह सकते। कौन जाने, वह पैगम्बर ही हो !
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लेकिन मुसलमान अलग होते हैं, बहुत मतवादी वे बरदाश्त नहीं कर सकते तो खलीफा उमर ने इस नये पैगम्बर को पकड़ जेल में डाल दिया और उससे कहा, 'तुम्हें चौबीस घंटे दिये जा रहे हैं, फिर से सोच लो यदि तुम कहते हो कि तुम पैगम्बर नहीं हो, मोहम्मद पैगम्बर है तो तुम छोड़ दिये जाओगे। लेकिन यदि तुम अपने पागलपन में अपनी बात पर ही जोर देते रहे, तो चौबीस घंटे बाद में जेल में आऊंगा और तुम्हें मार दिया जायेगा।' वह आदमी हंस पड़ा। वह बोला, 'देखो, ऐसा शास्त्रों में लिखा है कि पैगम्बरों के साथ हमेशा यही बर्ताव किया जायेगा, जैसा कि तुम मुझसे बर्ताव कर रहे हो।' वह तर्कपूर्ण था। खुद मोहम्मद तक से इसी तरह व्यवहार किया गया, इसलिए यह कुछ नया नहीं था। वह आदमी उमर से कहने लगा, 'यह कोई नयी बात नहीं है। बेशक चीजें इसी तरह होने वाली हैं और मैं ऐसी हालत में नहीं कि फिर से सोचूं। सिर्फ ईश्वर इसे बदल सकता है। चौबीस घंटे बाद तुम आ सकते हो। तुम मुझे वैसा ही पाओगे। जिसने मुझे नियुक्त किया है केवल वही इसे बदल सकता है?
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