Book Title: Panchsangraha Part 05
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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४८
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३७४
३७७
गाथा ११८
३७३-३७४ अन्तिम पाँच संहनन, आहारक सप्तक, उद्योतनाम का
उत्कृष्ट प्रदेशोदय स्वामित्व गाथा ११६
३७५-३७६ आतप नाम का उत्कृष्ट प्रदेशोदय स्वामित्व
३७५ गाथा १२०
३७६-३७८ ज्ञानावरणचतुष्क, दर्शनावरणत्रिक का जघन्य
प्रदेशोदय स्वामित्व गाथा १२१
३७८-३७६ अवधिद्विक का जघन्य प्रदेशोदय स्वामित्व
३७६ गाथा १२२
वेदनीयद्विक, उच्चगोत्र, अंतरायपंचक, अरति, शोक
मोहनीय, निद्राद्विक का जघन्य प्रदेशोदय स्वामित्व ३७६ गाथा १२३
३८०-३८१ नपुसक वेद, तिर्यंचगति, स्थावरनाम, नीचगोत्र, स्त्यानद्धित्रिक का जघन्य प्रदेशोदय स्वामित्व
३८१ गाथा १२४
३८१-३८२ दर्शनमोहत्रिक, अप्रत्याख्यानावरणादि बारह कषाय, पुरुषवेद, हास्य, रति, भय, जुगुप्सा मोहनीय का जघन्य प्रदेशोदय स्वामित्व
३८२ गाथा १२५
३८३-३८४ नपुसकवेद आदि आठ प्रकृतियों का देवों में उदय न होने का कारण
३८३ मिथ्यात्व मोहनीय का जघन्य प्रदेशोदय स्वामित्व ३८४
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