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जगचिंतामणि चैत्यवंदन ।
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* जयउ सामिय जयउ सामिय रिसह सत्पुंजि, उज्जित पहु नेमिजिण, जयउ वीर सच्चाउरिमंडण, भरुअच्छहिं मुणिसुव्वय, मुहरिपास । दुह-दुरिअखंडण अवर विदेहिं तित्थयरा, चिहुं दिसिविदिसि जिं के वि तीआणागयसंपइअ वंदु जिण सव्वेवि ॥ ३ ॥
अन्वयार्थ- — 'जयउ सामिय जयउ सामिय' हे खामिन् ! आपकी जय हो, आपकी जय हो । 'सत्तुंजि' शत्रुञ्जय पर्वत पर स्थित 'रिसह ' हे ऋषभदेव प्रभो ! 'उज्जित' उज्जयन्तगिरिनार-पर्वत–पर स्थित 'पहु नेमिजिण' हे नेमिजिन प्रभो ! 'सच्चाउरिमंडण' सत्यपुरी- सांचोर के मण्डन 'वीर' हे वीर प्रभो ! ‘भरुअच्छहिं’ भृगुकच्छ--भरुच में स्थित 'मुणिसुव्वय' हे मुनिसुव्रत प्रभो ! तथा 'हरि' मुहरी - टीटीई - गांव में स्थिति 'पास' हे पार्श्वनाथ प्रभो ! ' जयउ' आपकी जय हो । 'विदेहिं ' महा
* जयतु स्वामिन् जयतु स्वामिन् ! ऋषभ शत्रुञ्जये । उज्जयन्ते प्रभो नेमिजिन | जयतु वीर सत्यपुरीमण्डन । भृगुकच्छे मुनिसुव्रत । मुखरिपार्श्व । दुःख-दुरित-खण्डनाः अपरे विदेहे तीर्थकराः, चतसृषु दिक्षु विदिक्षु ये केऽपि अतीतानागतसाम्प्रतिकाः वन्दे जिनान् सर्वानपि ॥ ३ ॥
१ --- यह जोधपुर स्टेट में हैं । जोधपुर - बीकानेर रेलवे, बाड़मोर स्टेशन से जाया जाता है ।
२——यह शहर गुजरात में बड़ौदा और सूरत के बीच नर्मदा नदी के तट पर स्थित है । ( बी. बी. एन्ड सी. आई रेलवे )
३---यह तीर्थ इस समय इडर स्टेट में खंडहर रूप में है । इसके जीर्ण मन्दिर की प्रतिमा पास के टीटोई गाँव में स्थापित की गई है।
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