Book Title: Panch Pratikraman
Author(s): Sukhlal Sanghavi
Publisher: Atmanand Jain Pustak Pracharak Mandal

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Page 525
________________ २३८ २४२ २५१ * * * * * * * रमण चित्र मूल्मने सब्भोव रण के और महिअ रमणः चिह्न मूलने सब्भावे रण और महि २५४ २६१ वती संतिएणं संतिण्णं वतस्तौ वन्दितो तौ पुनः वन्दितौ पुनः निश्रणोति निशृणोति हए ज्वलता ज्वल मासनी मुरझा मुंझा तिम जिम जिम तिम ३२६. ३४९ ३५१ ३५३ द॑ष्टो दष्टो २० परिशष्ट । कलत्रानि भुञ्जन्ते कलत्राणि 6 ส์ भुञ्जते हात २० परिपूर्णकर्णा परिजीर्णकर्णा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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