Book Title: Panch Pratikraman
Author(s): Sukhlal Sanghavi
Publisher: Atmanand Jain Pustak Pracharak Mandal

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Page 521
________________ शुद्धिपत्र। 6 6 61 6MS ocm अशुद्धि। शुद्धि। पृष्ठ । पक्ति। होई ... होइ ... १६ ... १ 'होई' ... मिच्छामि मिच्छा मि... 'निच्च' ... 'निच्च' ... कर्म भूमियों में... कर्मभूमियों में स्थिति ... स्थित ... २५ ... ७ आदि नाथ आदिनाथ ... पातल . ... पाताल ... २७ ... महद्भयो अईयो ... २८ ..., आदिकरेभ्य स्तीर्थकरेभ्यः आदिकरेभ्यस्तीर्थकरेभ्यः २८ ... ७ भगवं-ताणं .... भगवंताणं ... २६ ... •दयेभ्यः धर्म ... ०दयेभ्यः धर्मदयेभ्यः । धर्मदेशकेभ्यः धर्म० २६ ... ३ नामधेयं ... नामधेयं .... ३१ .... ५ अइओ ... अइया ... ३१ ... १ * अशुद्धि, जिस टाईप की हो; पङ्क्तियाँ, उसी टाईप की गिननी चाहिए, औरों की छोड़ देनी चाहिए। कई जगह मशीन की रगड़ से मात्राएँ खिसक गई हैं और अक्षर उड़ गये हैं, ऐसी अशुद्धियाँ किसी२ प्रति में हैं और किसीर में नहीं भी हैं, उन में से मोटीर अशुद्धियाँ भी यहाँ ले ली गई हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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