Book Title: Panch Pratikraman
Author(s): Sukhlal Sanghavi
Publisher: Atmanand Jain Pustak Pracharak Mandal

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Page 522
________________ भावर्थ [ २ ] ... उड्ढे ... ३३ ... १ पातल ... पाताल ... ३३ ....१५ त्रिविधन त्रिविधेन ... २ वदामि वंदामि ३५ ... २ अधार .... आधार ... ३६ ...१० भावार्थ ३७ ...३रेश्लोकका सम्मते ... सम्यत्ते ... ३७ ... ३ भवार्थ भावार्थ ... ३८ ५वें श्लोक का °णुसारिश्रा ... ०णुसारिश्रा ... ३६ ... २ मग्गणुसारिआ ... मग्गाणुसारिआ ३६ ... हरिभद्रासूरि हरिभद्रसूरि ... मार्गानुसरिता मार्गानुसारिता ... वीराय वीयराय ... .... शीर्षकमें जड़ .... जड़, .... ४२ .... ३ सत्व-चिंतन तत्त्व-चिन्तन... ४३ समुद्दपारं ... ४४ ... ३ ०मग्गेवर० ०मग्गे वर०.... ० कुवाई० कुवाइ० .... को । तोड़ने को तोड़ने .... ....१३ साम्यग्ज्ञान सम्यग्ज्ञान .... सम्यक् .... ४६ ..... ३ 'वाएसिरि' .... 'वाएसिरी' .... ४६ ....१३ * समुपादरं * ....१२ * * सम्मक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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