________________
२१८
प्रतिक्रमण सूत्र ।
पौषध पारने की विधि । इच्छामि० इच्छा० इरिया० एक लोगस्स का काउस्सम्म पार कर प्रकट लोगस्स कह के बैठ कर 'चउक्कसाय०, नमुत्थुणं०, जावंति०, जावंत०, उवसग्गहरं०, जय वीयराय०' संपूर्ण पढ़े । बाद 'इच्छामि०, इच्छा०, मुहपत्ति पडिलेहुं ? इच्छं' कह के मुह'पत्ति पडिलेहे । बाद 'इच्छामि०, इच्छा० पोसहं पारेमि ? इच्छं; इच्छामि०, इच्छा०पोसहो पारिओ, इच्छं' कह के एक नवकार पढ़ कर हाथ नीचे रख कर 'सागरचंदो कामो' इत्यादि पौषध पारने का पाठ पढ़े। बाद 'इच्छामि०, इच्छा० मुहपत्ति पडिलेहु? इच्छं कह के मुहपत्ति पडिलेहे । पीछे 'इच्छामि०, इच्छा० सामाइअं पारेमि ? इच्छं; इच्छामि०, इच्छा० सामाइअं पारिश्र, इच्छं' कह कर सामाइय वयजुत्तो पढ़े ।
यदि रात्रि-पौषध हो तो पडिक्कमण करने के बाद संथारा पोरिसी के समय तक स्वाध्याय, ध्यान, धर्म-चर्चा बगैरह करे । पीछे संथारा पोरिसी पढ़ावे ।
संथारा पोरिसी पढ़ाने की विधि । 'इच्छामि०, इच्छा० बहुपडिपुण्णा पोरिसी, तहत्ति; इच्छमि०, इच्छा० इरिया०' कह के एक लोगस्स का काउस्सग्ग पार के प्रकट लोगस्स कह के 'इच्छामि०, इच्छा० बहुपडिपुण्णा पोरिसी, राइयसंथारए ठामि ? इच्छं' कहे। पीछे “चउक्कसाय ननुत्थुणं, जावंति, जावंत, उवसग्गहरं, जय वीयराय' तक
Jain Education International For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org