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प्रतिक्रमण सूत्र ।
तीस वरस गृह वास छंडी, लिये बार वरस छद्मस्थ मान, लही तीस वरस इम सवि मली, बहोंतर आयु प्रमाण । . दीवाली दिन शिव गया, 'नय' कहे ते गुण खाण ॥ ३ ॥ [ दूज का स्तवन । ]
संयम
केवल
भार । सार ॥ २ ॥
प्रणमी शारद माय, शासन वीर सुहंकरु जी । बीज तिथि गुग-गेह, आदरो भवियण सुंदरु जी ॥१५ इस दिन पंच कल्याण, विवरीने कहुं ते सुणोजी । माघ सुदी बीजे जाण, जन्म अभिनन्दनतणो जी ||२|| श्रावण सुदीनी बीज, सुमति चव्या सुरलोकथी जी । तारण भवोदधि तेह, तस पद सेवे सुर थोकथी जी ॥३॥ संमेतशिखर शुभ ठाण, दशमा शीतल जिन गणुं जी । चैत्र वदीनी हो बीज, मुक्ति वर्या तस सुख घणुं जी ॥४॥ फल्गुन मासनी बीज, उत्तम उज्वलता मासनी जी ।
अरनाथ
च्यवन, कर्म क्षये भव पासनी जी ||५||
उत्तम माघज
मास,
मास, सुदी बीजे वासुपूज्यनो जी ।
एहि दिन केवलनाण, शरण को जिनराजनो जी ||६|| करणी रूप करो खेत, समकित रूप रोपो तिहां जी । खातर किरिया हो जाण, खेड समता करी जिहां जी ॥७॥ उपशम तद्रूप नीर, समकित छोड़ प्रगट होवे जी । संतोष करी अहो बाड़, पचखाण व्रत चो की सोहे जी ॥८॥
।
नशे करम रिपु चोर, समकित वृक्ष फल्यो तिहां जी ।
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