Book Title: Panch Pratikraman
Author(s): Sukhlal Sanghavi
Publisher: Atmanand Jain Pustak Pracharak Mandal
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परिशिष्ट।
अथात खरतरगच्छीय प्रतिक्रमण के स्तव आदि विशेष पाठ तथा विधियाँ ।]
स्तव आदि विशेष पाठ ।
[ सकल तीर्थ-नमस्कार । सद्भक्त्या देवलोके रविशशिभवने व्यन्तराणां निकाये, नक्षत्राणां निवासे ग्रहगणपटले तारकाणां विमाने ।
पाताले पन्नगेन्द्रस्फुटमणिकिरणैर्ध्वस्तसान्द्रान्धकारे, श्रीमत्तीर्थकराणां प्रतिदिवसमहं तत्र चैत्यानि वन्दे ॥१॥
वैताढ्ये मेरुशृङ्गे रुचकगिरिवरे कुण्डले हस्तिदन्ते, वक्खारे कूटनन्दीश्वरकनकगिरौ नैषधे नीलवन्ते । चैत्रे शैले विचित्रे यमकगिरिवरे चक्रवाले हिमाद्रौ,
श्रीमत्ती० ॥२॥ श्रीशैले विन्ध्यशृङ्गे विमलगिरिवरे ह्यर्बुदे पावके वा,
सम्मेते तारके वा कुलगिरिशिखरेऽष्टापदे स्वर्णशैले । सह्याद्री वैजयन्ते विमलगिरिवरे गुर्जरे रोहणाद्रौ,
श्रीमत्ती० ॥३॥ आघाटे मेदपाटे क्षितिनटमुकुटे चित्रकूटे त्रिकूटे, लाटे नाटे च घाटे विटपिघनतटे हेमकूटे विराटे । कर्णाटे हेमकूटे विकटतरकटे चक्रंकृटे च भोटे,
श्रीमत्ती० ॥४॥
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