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३१० प्रतिक्रमण सूत्र । करने के लिये खोटी सलाह दी । झूठा लेख लिखा । झूठी गवाही दी । अमानत में खयानत की । किसी की धरोहर वस्तु वापिस न दी । कन्या, गो, भूमिसंबन्धी लेन-दैन में लड़ते-झगड़ते वाद-विवाद में मोटा झूठ बोला । हाथ पैर आदि की गाली दी। इत्यादि स्थूलमृषावादविरमणव्रतसंबन्धी जो कोई अतिचार पक्ष-दिवस में सूक्ष्म या बादर जानतेअनजानते लगा हो, वह सब मन-वचन-काया कर मिच्छामि दुकडं ।
तृतीय स्थूल-अदत्तादानविरमणव्रत के पाँच अतिचारः
" तेनाहडप्पओगे०" ॥१४॥ . घर, बाहिर, खेत, खला में विना मालिक के भेजे वस्तु ग्रहण की अथवा विना आज्ञा अपने काम में ली। चोरी की वस्तु ली। चार को सहायता दी। राज्य-विरुद्ध कर्म किया। अच्छी, बुरी, सजीव, निर्जीव, नई, पुरानी वस्तु का मेल मिश्रण किया ! जकात की। चोरी की। लेते देते तराजू की डंडी चढ़ाई अथवा देते हुए कमती दिया। लेते हुए अधिक लिया । रिशवत खाई । विश्वासघात किया । ठगी की। हिसाब किताब में किसी को धोखा दिया। माता, पिता, पुत्र, मित्र, स्त्री आदिकों के साथ ठगी कर किसी को दिया अथवा पूँजी अलहदा रखी। अमानत रखी हुई वस्तु से इन्कार किया। किसी को हिसाब किताब में ठगा । पड़ी हुई चीज़
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