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पाक्षिक अविचार ।
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औषधि का भक्षण किया । अपक्व आहार, दुष्पक्व आहार किया । कोमल इमली, बूँट, भुट्टे, फलियाँ आदि वस्तु खाई ।
"सचित्तं - दव्वं विगई, वाण - तंबोलवत्थं कुसुमेसु । वाहण-सयणं-विलेवणं, चंभ-दिसि" - न्हाण-भत्तेसुँ" ॥१॥
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ये चौदह नियम लिये नहीं । ले कर भुलाये । बड़, पीपल, पिलंखण, कहूँबर, गूलर, ये पाँच फल; मदिरा, मांस, शहद, मक्खन, ये चार महाविगई; बरफ, ओले, कच्ची मिट्टी, रात्रिभोजन, बहुबीजाफल, अचार, घोलवड़े, द्विदल, बैंगण, तुच्छफल, अजानाफल, चलितरस, अनन्तकाय, ये बाईस अभक्ष्य, सूरन - जिमीकन्द, कच्ची हल्दी, सतावरी, कच्चा नरकचूर, अदरक, कुवारपाठा, थोर, गिलोय, लसन, गाजर, गठा-प्याज, गोंगल, कोमल फलफूल-पत्र, थेगी, हरा मोत्था, अमृतवेल, मूली, पदबहेडा, आलू कचालू, रतालू, पिंडालू आदि अनन्तकाय का भक्षण किया । दिवस अस्त होते हुए भोजन किया । सूर्योदय से पहले भोजन किया । तथा कर्मतः पंद्रह कर्मादान:इंगालकम्मे, वणकम्मे, साडिकम्मे, भाडीकम्मे, फोडीकम्मे, ये पाँच कर्म; दंतवाणिज्ज, लक्खवाणिज्ज, रसवाणिज्ज, केसवाणिज्ज, विसवाणिज्ज, ये पाँच वाणिज्ज ; जंत पिल्लणकम्म, निल्लंछनकम्म, दवग्गिदावणिया, सरदहतलाबसोस
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