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प्रतिक्रमण सूत्र ।
पारिठ्ठावणियागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं पाणस्स लेवेण वा, अलेवेण वा, अच्छेण वा, बहुलेवेण वा, ससित्थेण वा, असित्थेण वा वोसिरइ ।
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भावार्थ – आयंबिल में पोरिसी या साढपोरिसी तक सात आगारपूर्वक चारों आहारों का त्याग किया जाता है; इस लिये इस के शुरू में पोरिसी या साढपोरिसी का पच्चक्खाण है। पीछे आयंबिल करने का पच्चक्खाण आठ आगार - सहित है । आयंबिल में एक दफा जीमने के बाद पानी के सिवाय तीनों आहारों का त्याग किया जाता है; इस लिये इस में चौदह आगारसहित तिविहाहार एगासण का भी पच्चक्खाण है ।
[ ( ६ ) - तिविहाहार उपवास-पच्चक्खाण । ]
* सूरे उग्गए, अब्भत्तछं' पच्चक्खाइ । तिविहंपि आहारं - असणं, खाइमं, साइमं अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, पारिट्ठावणियागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिव
अभुक्तार्थम् । पानाहारम् ।
-- उपवास के पहले तथा पिछले रोज एकासण हो तो 'चउत्थभत्तंअब्भत्तट्ठे', दो उपवास के पच्चक्खाण में 'छट्टभत्तं', तीन उपवास 'के पच्चक्खाण में 'अट्ठमभत्तं' पढ़ना चाहिए । इस प्रकार उपवास की संख्या को दूना कर के उस में दो और मिलाने से जो संख्या आवे उतने 'भत्तं' कहना चाहिए। जैसे: ~ चार उपवास के पच्चक्खाण में 'दसमभत्तं' और पाँच उपवास के पच्चक्खाण में 'बारहभत्तं' इत्यादि ।
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